Monday, August 16, 2010

इतिहास पुरूष की ऐतिहासिक पारी को शत् शत् नमन


ग्वालियर। चौबीस फरवरी का दिन भारतीय क्रिकेट प्रेमियों और क्रिकेट जगत में लंबे समय तक याद रखा जायगा। ग्वालियर के कैप्टन रुप सिंह स्टेडियम में इसी दिन क्रिकेट के सुपरमैन सचिन रमेश तेंदुलकर ने भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच खेले गये दूसरे एकदिवसीय मैच में धुआंधार पारी खेलते हुए सिर्फ 147 गेंदों में 25 चौकों, 3 गगनचुम्बी छक्कों की मदद से नाबाद 200 रन बनाए।




एकदिवसीय क्रिकेट के इतिहास के 40 साल और 2,961 मैचों के बाद कोई खिलाड़ी पहला दोहरा शतक लगाने में कामयाब हुआ है। यह शतक उस खिलाड़ी ने लगाया जो पिछले 22 वर्षों से लगातार क्रिकेट खेल रहा है। आज भारत सहित पूरे विश्व क्रिकेट में सिर्फ तेंदुलकर के धुआंधार 200 रनों की पारी की चर्चा है। इनके एकदिवसीय रिकॉर्ड का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके एकदिवसीय रिकॉर्ड टीम के शेष दस खिलाड़ियों के कुल रिकॉर्डो से श्रेष्ठ हैं। टीम के बाकि खिलाड़ी भी मिलकर सचिन की बराबरी नहीं कर पाए हैं।..




सचिन ने 200 रन की नाबाद पारी 36 साल 306 दिन की उम्र में खेली है। जबकि पाकिस्तान के सईद अनवर ने जब 194 रन बनाए थे, तो उनकी उम्र 29 साल थी। स्पष्ट है कि सचिन की उम्र भले ही बढ़ती जा रही है, लेकिन इसका असर उनके खेल पर नहीं पड़ रहा है। अनवर ने सचिन कि इस पारी कि तारीफ करते हुए कहा, "मैंने भारत के खिलाफ 194 रन बनाकर सर्वाधिक व्यक्तिगत रन का विश्व रिकॉर्ड बनाया था। मेरे इस रिकॉर्ड को तोड़ने की क्षमता सचिन में ही थी। मुझे कोई गम नहीं है क्योंकि मेरा रिकॉर्ड सचिन तेंडुलकर ने तोड़ा है जो निर्विवाद रूप से विश्व के सबसे चहेते क्रिकेटर हैं।"


कभी सचिन को सपने में देखने वाले पूर्व ऑस्ट्रेलियाई फिरकी गेंदबाज़ शेन वार्न ने कहा कि शुक्र है कि वे सचिन को गेंदबाजी नहीं कर रहे थे। वार्न ने कहा कि जैसे ही सचिन 190 पर पहुंचे तो टीवी देखते हुए मैं चिल्ला पड़ा ‘कमऑन सचिन, तुम डबल सेंचुरी का नया रिकॉर्ड बना सकते हो।


कभी सचिन के जोड़ीदार रहे भारतीय क्रिकेट के सबसे सफल कप्तान सौरव गांगुली ने सचिन के इस दोहरे शतक को बेहद शानदार पारी करार दिया। उन्होंने कहा कि सचिन दुनियां के सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटर हैं। रवि शास्त्री ने उनकों रन मशीन कहकर पुकारा है, तो वहीं बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन ने सचिन के बारें में कहा कि मास्टर ब्लास्टर साल दर साल अपने प्रदर्शन से चौकाते रहे हैं। टॉप ग्रेड के उनके खेल के कारण ही वे सफलता के शीर्ष पर बने हुए हैं। उनकी उपलब्धियां अद्भुत हैं। इन सारी खूबियों के बावजूद वे जमीन से जुड़े व्यक्ति हैं। हर कोई इस दोहरे शतक की पारी को देखकर गदगद है।

सचिन रमेश तेंदुलकर : क्रिकेट जीवन का एक सफल साधक
सचिन को क्रिकेट की ओर मोड़ने का श्रेय उनके बड़े भाई अजीत तेंदुलकर को जाता है। अजीत ने ही उन्हें खेल से जुड़ने की प्रेरणा दी। अगर अजीत ऐसा नहीं करते तो शायद क्रिकेट जगत को सचिन जैसा हीरा नहीं मिल पाता। राजापुर सारस्वत ब्राह्मण कुल में जन्में सचिन के दो बड़े भाई नितिन और अजीत एवं एक बहन हैं।



सचिन के पिता रमेश तेंदुलकर, मराठी उपन्यास के लेखक थे। सचिन ने अपने पिता से महानता के साथ जमीन से जुड़े रहने की कला सीखी। इतने प्रसिद्ध होने के बाद भी सचिन एक विनम्र और शालीन व्यक्ति हैं। यही बात उन्हें महान बनाती है। सचिन का सपना एक तेज गेंदबाज़ बनने का था। इसके लिए वे चैन्नई स्थित एमआरएफ पेस अकादमी ट्रायल देने भी पहुंचे थे। पर अफसोस वे अपने छोटे कद से मात खा गए।


अभ्यास करते समय जब सचिन थक जाते थे उनके कोच रमाकांत आचरेकर एक रुपए का सिक्का स्टंप्स पर रखकर कहते थे, जो सचिन का विकेट लेगा ये सिक्का उसका, और यदि सचिन आउट नहीं हुआ तो ये एक रुपया सचिन का। सचिन ने आज भी वो तेरह सिक्के संभाले कर रखे हैं। साल 1988 में एक स्कूल टूर्नामेंट में सचिन ने अपने परम मित्र विनोद कांबली के साथ मिलकर नया रिकार्ड बनाया था। कांबली के साथ 664 रन की रिकार्ड साझेदारी से सचिन ने भारतीय क्रिकेट में पहला धमाका किया।

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