Wednesday, April 10, 2013

क्रिकेट का एक ही “वाल” राहुल द्रविड


भारतीय क्रिकेट के महानतम बल्लेबाजों में शुमार तथा द वाल”  के नाम से मशहूर राहुल द्रविड़ ने अपने कॅरियर में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं पर कभी भी उन्होंने मीडिया में खुलेआम अपने गुस्सा नहीं दिखाया इसकी बजाय उन्होंने अपने प्रदर्शन से अपनी काबिलियत साबित की है।
वर्तमान परिदृश्य में राहुल अपनी योग्यता के बल पर अपने समकालिन क्रिकेटरों से कहीं ज्यादा आगे हैं। इसका ताजा उदाहरण आईपीएल-6 है, जहां सचिन, रिकी पोटिंग, माहेला जयवर्धने, जैक्स कैलिस जैसे खिलाडी खेल रहे हैं, लेकिन राहुल न सिर्फ इन खिलाडियों से ज्यादा अच्छा खेल दिखा रहे हैं, बल्कि अपनी टीम राजस्थान रायल के कोच की भी भूमिका निभा रहें हैं।

यहां तक की एक मैच में तो राहुल ने मैन आफ दी मैच का पुरस्कार भी जीता। राहुल पहले मैच में  दिल्ली डेयरडेविल्स के खिलाफ तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करने उतरे और 51 गेंदों पर 65 रनों की आतिशी पारी खेलकर साबित कर दिया कि अच्छी तकनीक फटाफट क्रिकेट में भी काम आती है। द्रविड की गिनती चौके-छक्के लगाने वाले खिलाड़ियों में नहीं होती, उम्र भी उनकी 40 साल से ज्यादा हो चुकी है, लेकिन उनकी बल्लेबाजी को देखकर एक बार भी ऐसा नहीं लगा कि वे ट्वेंटी-20 क्रिकेट में मिसफिट हैं।

अपने एक दिवसीय करियर के शुरूआत में संघर्ष करने के बाद द्रविड़ ने लगन और मेहनत से खुद को बेहतर बनाया है। बहुत कम लोगों को यह याद होगा कि एकदिवसीय में द्रविड़ 22 गेंदों में 50 रन बनाने का करिश्मा दिखा चुके हैं। यह स्कोर उन्होंने न्यूजीलैंड के खिलाफ 2003 में बनाया था। यहीं नहीं द्रविड़ ने टी20 इंटरनेशनल में 2011 में डेब्यू मैच में ही एक के बाद एक तीन छक्के लगाए थे।

आईपीएल में द्रविड़ का योगदान देखें तो एक पारी बेहद सराहनीय है। रॉयल चैलेंजर्स बेंगलूरू के खिलाफ आईपीएल के पहले ही सीजन में द्रविड़ ने 36 गेंदों में छह छक्कों की मदद से 75 रन बनाए थे। हाल ही दिल्ली डेयरडेविल्स के खिलाफ हुए मैच में क्लासी द्रविड़ देखने को मिले।

जब उन्होंने पहली बॉल पर चौका लगाया तो सबको समझ आ गया कि आज द्रविड़ कुछ अलग करेंगे। वही हुआ, अगले कुछ शॉर्ट में द्रविड़ ने अपनी टेक्निकल ब्रिलिएंस का प्रदर्शन किया। जैसे जैसे खेल आगे बढ़ा द्रविड़ को फ्रंट-लेग टाइम क्लियर कर अपने लिए रूम बनाते देख गया।
आईपीएल में द्रविड़ की स्ट्राइक रेट 117.24 है, यह किसी भी बल्लेबाज के लिए टी20 में हाइएस्ट स्ट्राइक रेट 120 से थोड़ा ही कम है। इसके अलावा आईपीएल 6 के पहले मैच के दौरान उन्हें मैदान पर काफी मुस्कुराते हुए देखा गया।

 वह बेहद संजीदा और गंभीर खिलाड़ी हैं और टीम इंडिया में खेलते वक्त भी उन्हें बहुत कम ही मैदान पर हंसते हुए देखा जाता था। पर यहां उनकी मुस्कान यह संकेत दे रही थी कि वे टी20 फॉर्मेट में कम प्रेशर महसूस करते हैं।

सचिन, सौरभ और लक्ष्मण के साथ खेलते हुए राहुल ने अपनी एक अलग ही जगह बनाई है। कई लोग उन्हें एक शांत बल्लेबाज मानते हैं। शुरू में उनकी धीमी बल्लेबाजी की वजह से उन्हें एकदिवसीय मैचों में अधिक मौके नहीं दिए गए पर राहुल द्रविड़ ने एकदिवसीय मैचों में भी ऐसी छाप छोड़ी की दुनिया उनकी कद्रदान हो गई।

साल 1999 और 2003 के विश्व कप में राहुल द्रविड़ ने जो भूमिका निभाई उससे साफ हो गया कि इस दीवार में बहुत जान है। द्रविड़ ने अब तक 153 टेस्ट मैचों की 265 पारियों में 52.40 की औसत से 12314 रन बनाए हैं. इस दौरान उन्होंने 60 अर्धशतक और 32 शतक जमाए हैं।

टेस्ट के विपरीत उन्होंने वनडे में धीमे अंदाज में बल्लेबाजी की है पर वनडे में भी राहुल द्रविड़ का सफर शानदार रहा है। 39.43 की औसत से राहुल द्रविड़ ने 339 मैचों में 10,000 रन बनाए हैं। विश्व क्रिकेट में दस हजार का आकंडा पार करने वाले वह दुनियां के छठे बल्लेबाज हैं। टेस्ट मैचों में 200 से अधिक कैच लेकर वह दुनियां के सबसे अधिक कैच लेने वाले खिलाड़ी भी हैं।

राहुल द्रविड़ ने हमेशा मुसीबत के समय टीम की हर तरह से मदद की है। जब टीम को एक विकेट कीपर की जरुरत थी तो राहुल द्रविड़ ने यह भूमिका भी निभाई. जब जरुरत एक कप्तान की थी तब उन्होंने कप्तानी संभाली।

राहुल द्रविड़ को मिले पुरस्कार और रिकॉर्ड

अर्जुन अवार्ड : 1998 में राहुल द्रविड़ को अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया गया था.

2000: विजडन क़्रिकेटर ऑफ द ईयर (Wisden Cricketer of the Year 2000)

पद्म श्री : 2004 में राहुल को पद्म श्री से सम्मानित किया गया था.

आईसीसी प्लेयर ऑफ द ईयर : 2004 में ही राहुल द्रविड़ को आईसीसी प्लेयर ऑफ द ईयर के खिताब से नवाजा गया था.
पद्मभूषण  :   खेल में अहम योगदान के लिए राहुल द्रविड़ को 2013 में पद्मभूषण सम्मान दिया गया है. टीम इंडिया की दीवार माने जानेवाले राहुल द्रविड़ ने क्रिकेट में अपना अहम योगदान दिया है.
सर्वाधिक कैच : टेस्ट इतिहास में राहुल द्रविड़ सबसे अधिक कैच लेने वाले खिलाड़ी हैं जिनके नाम 200 कैच हैं.

12,000 टेस्ट रन : राहुल द्रविड़ दुनियां के तीसरे और भारत के दूसरे ऐसे बल्लेबाज हैं जिनके नाम 12,000 टेस्ट रन हैं.

10,000 वनडे रन : राहुल द्रविड़ भारत के तीसरे ऐसे बल्लेबाज हैं जिनके नाम 10,000 से ज्यादा वनडे रन हैं.

85 शतकीय भागीदारी : राहुल द्रविड़ ने अपने अन्य साथी क्रिकेटरों के साथ 85 से अधिक शतकीय भागीदारियां निभाई हैं जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है.

300 रन से ज्यादा की भागीदारी : राहुल द्रविड़ वनडे के ऐसे इकलौते खिलाड़ी हैं जिन्होंने एक पारी में 300 से ज्यादा रनों की भागीदारी में हिस्सा लिया है.
सुनील

Tuesday, April 9, 2013

इरादों में हो मजबूती तो कोई मंजिल नहीं मुश्किल


इंसान में जज्बा और जुनून हो तो वह कमियों के बावजूद अपनी मंजिल को पा ही लेता है फिर चाहे शरीर साथ दे या ना दे। ऐसे में व्यक्ति अपने हौसलों को ही अपने पंख के तौर पर इस्तेमाल कर अपनी उड़ान को पूरा करने की क्षमता रखता है। बात जब खेल की हो तो बात ही कुछ और है।

खेल चाहे जो भी हो पर एक बात तो साफ है कि पैसे और शोहरत की कमी इसमें नहीं है। तभी तो बहुतेरे लोग इसे अपना प्रोफेशन बनाने में लगे हैं। इसमें शारीरिक सक्षम लोगों को तो लम्बी फौज है, पर एक वर्ग ऐसा भी है जो खेल को केवल जुनून और जीवन की कठिनाईयों से न हारने की जिद के आधार पर इसे अपना रहा है। इस वर्ग का विशेषण यह है कि शरीर के साथ नहीं देने के बावजूद उनका जज्बा ही उन्हें लगातार आगे बढ़ने का हौसला देते हैं। इन्हीं हौसलों के जरिए ही आज दुनिया भर में कई ऐसे खेल अस्तीत्व में आ गये हैं जिनकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। और बात जब महिलाओं की हो तो वह अपने-आप में ही खास हो जाता है।

"कमल है कमजोर नहीं, शक्ति का नाम नारी है"- इस पंक्ति को चरितार्थ किया है मूल रुप से मेरठ की रहने वाली व बीएचयू के दृश्य संकाय कला की छात्रा सुहानी विथिका ने। सुहानी ने दिखा दिखा दिया कि अगर हौसला हो तो इंसान अपनी पहुँच से ऊपर तक मेहनत कर जो सपने देखे हैं, वास्तविकता में उसे परिणीत भी कर लेते हैं।

कहते हैं कि इंसान यदि ठान ले तो वह कुछ भी कर सकता है, यहां तक कि असंभव को भी संभव कर सकता है। यही बात सुहानी पर भी लागू होती है। मूक बधिर सुहानी की ढेरों उपलब्धियां उसकी जन्मजात कमी को कहीं पीछे छोड चुकी है। हालांकि सुहानी की राष्ट्रीय स्तर पर पाई गई उपलब्धियों का रास्ता उन कांटों भरे रास्तों से गुजरी है जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है। बहरहाल उत्तरप्रदेश की इस होनहार वीरवान खिलाडी की नजर बुल्गारिया मे होने वाली डीफ ओलंपिक के बैडमिंटन प्रतियोगिता में लगी है। जिसकी तैयारी में वह जुट चुकी है।

अपने दृढ़ निश्चय के बल पर शारीरिक अक्षमता को मात देते हुए सुहानी ने अपनी अलग पहचान बना ली है। सुहानी विथिका ने औरंगाबाद में 1 अप्रैल से 5 अप्रैल तक चले नेशनल गेम्स आफ डिफ-2013 के बैडमिंटन प्रतियोगिता में अपने बढि़या खेल से न सिर्फ बनारस बल्कि अपने माता-पिता का भी सम्मान बढाया है।

विथिका ने अपनी मां की मदद से बताया कि उसने बैडमिंटन एकल प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन करते हुए कांस्य पदक हासिल किया, जबकि मिश्रित युगल प्रतियोगिता में सुहानी व उसकी जोडीदार ने स्वर्ण पदक प्राप्त किया।

सुहानी की सफलता से खुश सुहानी की मां रश्मि लाल ने बताया कि अपने बच्ची की ऐसी हालत पर थोडी परेशानी तो जरूर हुई लेकिन उन्होंने अपने बच्ची को इस कमी से लडने का जज्बा दिया। जब सुहानी डेढ साल की हुई तब उन्हें पता चला की वो सुन नहीं सकती और जब 5 साल की हुई तो उसके न बोल पाने के बारे में जानकर एक बार तो ऐसा लगा जैसे उनकी जिन्दगी ही खत्म हो गयी, लेकिन उस समय सुहानी के पिता कर्नल श्यामलाल ने हार नहीं मानी और सुहानी का इलाज कराया हालांकि इलाज के बाद सुहानी ने सुनना तो शुरु कर दिया लेकिन वह बोल नहीं पायी।

उन्होंने बताया की सुहानी ने भी कभी हार नहीं मानी और अपनी कमजोरी को अपनी ताकत बना ली। अच्छी बैडमिंडन खिलाडी होने के अलावा सुहानी आज लगभग हर खेल में माहिर है। यही नहीं वह एक अच्छी चित्रकार भी है। शटलर होने के अलावा सुहानी स्विमिंग पुल में भी किसी से पीछे नहीं है।

दूसरी तरफ बीएचयू में प्रो. आरएन मिश्रा ने बताया कि सुहानी के बढि़या प्रदर्शन से औरों को भी प्रेरणा मिल रही है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय स्तर पर सुहानी को हर सम्भव मदद की जायेगी।
सुनील दूबे