धनुर्विद्या में कहां है धनुर्धरों का देश!
ओलिम्पक खेलों में तीरंदाजी

भारत का प्राचीन इतिहास गौरवशाली रहा है। इस देश की धरती पर जहां मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम और श्रीकृष्ण जैसे भगवान् अवतरित हुए हैं, वहीं अर्जुन, कर्ण, एकलव्य जैसे अनेक धनुर्धारी भी हुए जिन्होंने अपनी धनुर्विद्या के बल पर अनेक युद्धों में विजय प्राप्त की। गुरु द्रोणाचार्य धनुर्विद्या के महान ज्ञाता थे। कौरव और पाण्डवों ने इन्हीं से धनुष चलाने की कला सीखी थी।
प्राचीन भारत में लोगों को आत्मरक्षा के लिए विशेष रूप से धनुष और तीर चलाने का प्रशिक्षण दिया जाता था। उस समय विभिन्न प्रकार के धनुषों का निर्माण होता था जिनमें लघु धनुष, फ्लैट धनुष और पार धनुष प्रमुख थे। इस विद्या का प्रयोग युद्धों के अलावा जंगली हिंसक जानवरों का शिकार करने के लिए भी किया जाता था। बंदूक निर्माण के पहले तक तीर-धनुष ही शिकार करने का प्रमुख हथियार था। वर्तमान समय में धनुर्विद्या का प्रयोग आत्मरक्षा के अतिरिक्त आखेट, मनोरंजन एवं खेलों में भी होने लगा है।
प्राचीन भारत में लोगों को आत्मरक्षा के लिए विशेष रूप से धनुष और तीर चलाने का प्रशिक्षण दिया जाता था। उस समय विभिन्न प्रकार के धनुषों का निर्माण होता था जिनमें लघु धनुष, फ्लैट धनुष और पार धनुष प्रमुख थे। इस विद्या का प्रयोग युद्धों के अलावा जंगली हिंसक जानवरों का शिकार करने के लिए भी किया जाता था। बंदूक निर्माण के पहले तक तीर-धनुष ही शिकार करने का प्रमुख हथियार था। वर्तमान समय में धनुर्विद्या का प्रयोग आत्मरक्षा के अतिरिक्त आखेट, मनोरंजन एवं खेलों में भी होने लगा है।
ओलिम्पक खेलों में तीरंदाजी
खेलों के रुप में सर्वप्रथम 1972 में म्युनिख, जर्मनी में होने वाले ओलिम्पक में तीरंदाजी को खेल के रुप में शामिल किया गया।
भारत में तीरंदाजी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 8 अगस्त 1973 को में ‘भारतीय तीरंदाजी संगठन’ का गठन किया गया। यह संगठन धनुर्धारियों को प्रशिक्षित करवाता है और विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाली प्रतियोगिताओं में धनुर्धारियों को अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए मंच प्रदान करवाता हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर डोला बनर्जी, जयंत ठाकुर, लिम्बा राम, सत्यदेव प्रसाद और तरुनदीप राय जैसे खिलाड़ियों ने अपने शानदार प्रदर्शन से इस खेल में भारत का नाम रोशन किया है। तीरंदाजी को देश में और प्रोत्साहन देने की जरुरत है ताकि इस खेल से जुड़ी नैसर्गिक प्रतिभाओं को अपना हुनर दुनिया के सामने प्रस्तुत करने का समुचित अवसर मिल सके । इससे विश्व मानचित्र पर हमें अपनी एक सहज परंपरागत शस्त्र विद्या में अल्प समय में और ज्यादा प्रतिष्ठा प्राप्त हो सकती है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर डोला बनर्जी, जयंत ठाकुर, लिम्बा राम, सत्यदेव प्रसाद और तरुनदीप राय जैसे खिलाड़ियों ने अपने शानदार प्रदर्शन से इस खेल में भारत का नाम रोशन किया है। तीरंदाजी को देश में और प्रोत्साहन देने की जरुरत है ताकि इस खेल से जुड़ी नैसर्गिक प्रतिभाओं को अपना हुनर दुनिया के सामने प्रस्तुत करने का समुचित अवसर मिल सके । इससे विश्व मानचित्र पर हमें अपनी एक सहज परंपरागत शस्त्र विद्या में अल्प समय में और ज्यादा प्रतिष्ठा प्राप्त हो सकती है।
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