मानव स्वास्थ्य के लिए खेल उतना ही आवश्यक है जितना कि भोजन। स्वस्थ शारीरिक विकास, मनोरंजन, विविध गुण-विकास आदि के लिए एक उत्कृष्ट साधन के रूप में खेलों का परिचय आज जगत के सभी विकसित मानव समूहों में विद्यमान है। खेल उतने ही प्राचीन हैं, जितना इस पृथ्वी पर मानवजीवन । मानवजीवन के विकास के साथ ही खेलों का भी विकास होता चला गया।कुछ खेल ऐसे भी होते हैं जो सरल, छोटे-बड़े, बिना साधन तथा अल्प सहज उपलब्ध साधनों द्वारा कहीं भी खेले जा सकते हैं। ये खेल सभी आयुवर्ग के लोगों के आकर्षण का प्रमुख विषय रहे हैं। खेल-खेल में ही समाज-जीवन के विविध अंगों को परिष्कृत व परिपुष्ट करने वाले इन खेलों में एक प्रमुख खेल है- `खो-खो´।
खो-खो एक भारतीय खेल है, जो दो टीमों के बीच खेला जाता है। प्रत्येक टीम में बारह-बारह खिलाड़ी होते हैं, जबकि मैदान में केवल नौ खिलाड़ी ही प्रवेश करते हैं। इस खेल में एक टीम के खिलाड़ी पंक्ति के रूप में मैदान के मध्य एक-दूसरे के विपरीत घुटने के बल बैठते हैं। दूसरी टीम अपने तीन खिलाड़ियों को मैदान के मध्य भेजती है। बैठने वाली टीम का उद्देश्य विरोधी टीम के खिलाड़ी को दौड़कर छुने का होता है, छुने वाला खिलाड़ी एक ही दिशा में भाग सकता है और बैठे हुए खिलाड़ियों की पंक्ति बीच में से दूसरी तरफ नहीं जा सकता है।
खो-खो एक भारतीय खेल है, जो दो टीमों के बीच खेला जाता है। प्रत्येक टीम में बारह-बारह खिलाड़ी होते हैं, जबकि मैदान में केवल नौ खिलाड़ी ही प्रवेश करते हैं। इस खेल में एक टीम के खिलाड़ी पंक्ति के रूप में मैदान के मध्य एक-दूसरे के विपरीत घुटने के बल बैठते हैं। दूसरी टीम अपने तीन खिलाड़ियों को मैदान के मध्य भेजती है। बैठने वाली टीम का उद्देश्य विरोधी टीम के खिलाड़ी को दौड़कर छुने का होता है, छुने वाला खिलाड़ी एक ही दिशा में भाग सकता है और बैठे हुए खिलाड़ियों की पंक्ति बीच में से दूसरी तरफ नहीं जा सकता है।

दूसरी तरफ जाने के लिए भागते हुए खिलाड़ी को पूरी पंक्ति की दौड़ लगानी होती है। अन्य विकल्प के रूप में पीछा करता हुआ खिलाड़ी बैठे हुए खिलाड़ी को दौड़ाने का कार्य सौंप देता है। पीछा करने वाला खिलाड़ी बैठे हुए खिलाड़ी को छुता है और जोर से चिल्लाता है-`खो´ जो इस बात को दर्शित करता है कि पीछा करते हुए खिलाड़ी ने बैठे हुए खिलाड़ी को अपना कार्य हस्तांतरित कर दिया। इस तरह जिस टीम ने कम समय में विरोधी टीम के खिलाड़ियों को पकड़ या छु लिया उस टीम को विजेता मान लिया जाता है।
खो-खो के खेल की महत्वपूर्ण प्रतियोगिताएं-
राष्ट्रीय चैम्पियनशिप, जूनियर राष्ट्रीय चैम्पियनशिप, सब जूनियर राष्ट्रीय चैम्पियनशिप, राष्ट्रीय महिला चैम्पियनशिप, तथा अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय और फेडरेशन कप आदि खो-खो की महत्वपूर्ण प्रतियोगिताएं हैं।
खो-खो के कुछ प्रसिद्ध खिलाड़ी
खो-खो के कुछ प्रसिद्ध खिलाड़ियों में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित श्री शेखर धरवाडकर, श्री रंग इनामदार, उषा नगरकर, नीलिमा सरोलकर, अचला देवरे आदि शामिल हैं।
खो-खो के खेल की महत्वपूर्ण प्रतियोगिताएं-
राष्ट्रीय चैम्पियनशिप, जूनियर राष्ट्रीय चैम्पियनशिप, सब जूनियर राष्ट्रीय चैम्पियनशिप, राष्ट्रीय महिला चैम्पियनशिप, तथा अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय और फेडरेशन कप आदि खो-खो की महत्वपूर्ण प्रतियोगिताएं हैं।
खो-खो के कुछ प्रसिद्ध खिलाड़ी
खो-खो के कुछ प्रसिद्ध खिलाड़ियों में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित श्री शेखर धरवाडकर, श्री रंग इनामदार, उषा नगरकर, नीलिमा सरोलकर, अचला देवरे आदि शामिल हैं।
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