खेलों के अर्धकुम्भ 19वें राष्ट्रमंडल खेलों के ख़त्म होने के बाद अब घपले की जाँच का नया खेल शुरू हो गया है। अब देखना ये है कि इस खेल में कौन जायगा और कौन बचेगा? भ्रष्टाचार का स्वर्ण पदक कौन जीतेगा? राष्ट्रमंडल खेल रूपी इस अर्धकुम्भ के भ्रष्टाचार के खेल में कई बड़े खिलाड़ी प्रतियोगिता का स्वर्ण जीतने के लिए मैदान में हैं। सुरेश कलमाड़ी और दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित इस दौड़ में सबसे आगे हैं। इनके अलावा और भी कई खिलाड़ी हैं जो समय के साथ-साथ पदक की दौड़ में शामिल होते जायेंगे।
यह प्रतियोगिता राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी मिलने के साथ ही शुरू हो गई थी। खेलों की मेजबानी के साथ देश का सम्मान भी जुड़ा हुआ था, लेकिन राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारियों में लापरवाही, पैसों की बर्बादी, भ्रष्टाचार और कथित घोटाले जितने निराशाजनक हैं उतने ही क्षुब्ध करने वाले भी हैं। राष्ट्रमंडल खेलों के इस आयोजन पर शुरु में कुल 63,284 करोड़ रुपयों के खर्च होने का अनुमान लगाया गया था। इसमें दिल्ली सरकार का अपना योगदान 16,000 करोड़ रुपयों का था। लेकिन ताजा आकलन के अनुसार सभी परियोजनाओं को पूरा करने में अनुमान से कहीं ज्यादा तकरीबन 70 हजार करोड़ रुपये खर्च हुए हैं, या यूँ कहें कि ये खर्च जबरन किये गए, तो ज्यादा सही होगा।
राष्ट्रमंडल खेलों पर भ्रष्टाचार के इस खेल में आयोजन से जुड़ी 16 परियोजनाओं में केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने 2,500 करोड़ रुपए से अधिक के घपले का खुलासा किया।
सीवीसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रमंडल खेल गांव का तरणताल, प्रशिक्षण हॉल और एथलेटिक्स ट्रैक सहित इन खेलों से जुड़ी 16 परियोजनाओं में निर्माण के दौरान भारी अनियमितता बरती गई है।
इसके अलावा दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए), केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) द्वारा नेशनल स्टेडियम और एसपीएम तैराकी स्थल में किए गए पुनर्निमाण कार्य के दौरान भी धांधली की गई है। इन परियोजनाओं में खेल संकुलों का उन्नयन और सड़कों को चौड़ा करने संबंधी परियोजनाएं शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि सीवीसी ने इस मामले में दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) सहित कुछ और एजेंसियों के अधिकारियों के विरुद्ध सीबीआई से जांच कराने को कहा है।
एक ओर जहाँ केंद्रीय सतकर्ता आयोग ने अपनी रिपोर्ट में यह कहा है कि ज़्यादातर निर्माण कार्य में प्रक्रिया संबंधी उल्लंघन पाए गए हैं, तो दूसरी ओर एक अनजानी सी कंपनी को लाखों पाउंड देने का मामला भी तूल पकड़ रहा है। ताज़ा मामला लंदन की एक ऐसी कंपनी का है जिसे लाखों पाउंड दिए गए। एक निजी टीवी चैनल ने अपनी विशेष रिपोर्ट में इस कंपनी पर कई गंभीर सवाल उठाए हैं।
राष्ट्रमंडल खेलों के समापन समारोह के फौरन बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भ्रष्टाचार के खेल में शामिल सभी खिलाड़ियों के खिलाफ जांच के आदेश दे दिए। इस कड़ी में पहला कदम बढ़ाते हुए आयकर विभाग ने भ्रष्टाचार के खेल में भाजपा नेता सुधांशु मित्तल के आवास पर तथा दिल्ली में कुल 25 स्थानों पर छापे मारे।
मित्तल खेलों के लिए स्पोर्टस के सामानों के सप्लायर दीपाली कन्सॉर्टियम से जुड़े रहे हैं। दीपाली कन्सॉर्टियम को राष्ट्रमंडल खेलों में खेल से संबंधित सामानों की सप्लाई का ठेका मिला हुआ था। लेकिन मित्तल पर संदेह कहीं न कहीं सरकार द्वारा विपक्षी दल भाजपा को घेरने कि साजिश ही प्रतीत होती है, क्योंकि मित्तल ने तो अन्य ठेकेदारों की तरह सिर्फ टेंडर ही भरा यानी उन्होंने व्यापार किया। उनका टेंडर पास करना तो आयोजन समिति के हाथों में था।
इनके अलावा राष्ट्रमंडल खेल समिति के सदस्य हरीश शर्मा के घर पर भी छापेमारी की गई। खेल परियोजनाओं से जुड़े दिल्ली के तीन-चार अन्य ठेकेदारों के ठिकानों पर भी छापेमार की गई है। सवाल यह उठता है कि मित्तल और अन्य ठेकेदारों के साथ-साथ उन्हें ठेका देकर आयोजन समिति भी कहीं न कहीं दोषी है। फिर मित्तल सहित अन्य ठेकेदारों के ठिकानों पर ही छापे क्यों ? यह एक बड़ा प्रश्न है।
अब बात करते हैं खेल गाँव की, जहाँ खिलाड़ियों को ठहरना था। खेल गाँव को बनाने का ठेका एएमआर-एमजीएफ को मिला था लेकिन कम्पनी ने काम समय पर पूरा नहीं करके पूरे विश्व में भारत को शर्म से झुकने पर मजबूर कर दिया। और तो और व्यवस्था में लगे स्वयंसेवकों को भी गन्दा खाना परोसा गया, जिसको पकाने का ठेका एकता शक्ति फाउन्डेशन को दिया गया था।
ये तो प्रतियोगिता में भाग ले रहे छोटे खिलाड़ी थे। इनके अलावा न जाने और कितने ऐसे खिलाड़ी हैं जो अभी तक सामने नहीं आये हैं। अब बात करते हैं प्रमुख खिलाड़ी सुरेश कलमाड़ी की, जिन्होंने अपनी साथी खिलाड़ी मुख्यमंत्री शीला दीक्षित पर निशाना साधते हुए कहा कि शीला के पास खेलों से जुड़ी तैयारियों के लिए 16,000 करोड़ का बजट था, लेकिन मैंने उन पर कभी भी किसी प्रकार का आरोप नहीं लगाया। मेरा बजट तो सिर्फ 16,00 करोड़ रुपये का था। निर्माण कार्य मेरे जिम्मे नहीं था। क्या शीला के पास इसका जवाब है?
प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने भी घोटालों के विजेता की घोषणा करने के लिए राष्ट्रमंडल खेलों की समाप्ति के बाद एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया है। पूर्व सीएजी (नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) वी.के. शुंगलू की अध्यक्षता में गठित यह समिति तीन महीने के अंदर प्रधानमंत्री को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
खेलों में घपले की जाँच की प्रतियोगिता शुरू है और देखना यह है कि इस प्रतियोगिता का स्वर्ण पदक किसको मिलता है और विजेता को सरकार किस प्रकार सम्मानित करती है। हालांकि, इस जाँच के खेल को ड्रा करने के लिए कोई और खेल आयोजित किए जाने की भी संभावना व्यक्त की जा रही है।
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