Thursday, December 30, 2010

लक्ष्मण और जहीर ने की स्मिथ की बोलती बंद

डरबन। दक्षिण अफ्रीकी कप्तान ग्रीम स्मिथ की बोलती बंद करते हुए भारतीय टीम ने किंग्समीड स्थित सहारा क्रिकेट स्टेडियम में खेले गए दूसरे टेस्ट मैच में दक्षिण अफ्रीका को 87 रनों से हरा दिया। इस जीत ने भारत को तीन मैचों की श्रृंखला में 1-1 की बराबरी पर ला दिया है। इस जीत के बाद स्मिथ भी जान गए हैं कि क्यों टीम इंडिया ही विश्व की नंबर एक टेस्ट टीम का ताज पहनने की हकदार है।


इस टेस्ट मैच में भारत उन अहम मौकों को नहीं चूका जो मैच का रूख बदल सकती थी। या यूं कहें कि मैच का हर टर्निंग प्वाइंट भारत के पाले में गया। चाहे वह मुश्किल कैच हो या नॉन स्ट्राइकर छोर पर कैलिस का रन आउट। इसके साथ दूसरी पारी में लक्ष्मण और जहीर खान के बीच 70 रनों की जुझारू साझेदारी ने टीम के लिए जीत का आधार रखने का काम किया।



दरअसल डरबन टेस्ट मैच आईसीसी की उन कोशिशों को और मजबूती देता है जिसमें इस खेल के सबसे लंबे फॉर्मेट को बढ़ावे देने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। क्योंकि लगभग चार दिनों में खत्म हुए इस मुकाबले में हर सत्र में खेल का रूख बदलता था। जहां पहला दिन साउथ अफ्रीका के नाम रहा तो दूसरा दिन टीम इंडिया के पाले मे। क्रिकेट पंडितों के लिए यह अनुमान लगा पाना मुश्किल हो गया था कि मैच में किस टीम का पलड़ा भारी है।

मैच के असली हीरो रहे वैरी वैरी स्पेशल लक्ष्मण, लक्ष्मण ने दूसरी पारी में 96 रनों की पारी खेल ये जता दिया की वो धोनी के असली लक्ष्मण हैं। उनकी यह पारी इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि ये पारी उस समय खेली गई जब भारतीय टीम के धुरंधर पानी मांगते नज़र आ रहे थे। सचिन को भारतीय क्रिकेट का भगवान कहा जाता है लेकिन  लक्ष्मण भारतीय क्रिकेट के ब्रम्हा हैं जो ऐसे समय प्रकट होते हैं जब टीम को असली में उनकी जरुरत होती है। लक्ष्मण कितने बड़े खिलाड़ी हैं ये अब दक्षिण अफ्रीका को भी समझ में आ गया होगा।

लक्ष्मण के बाद बात करते हैं जहीर खान की। उनकी अनुपस्थिति में पहले टेस्ट मैच में भारतीय गेंदबाज स्कूल टीम के गेदबाजों की तरह गेंदबाजी कर रहे थे। लेकिन दूसरे टेस्ट मैच में जहीर के आते ही मानो भारतीय गेंदबाजों की गेंदबाजी में तूफान आ गया। पहले टेस्ट में जहाँ दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाजों ने 4 विकेट पर 620 रन बनाये थे वहीँ दूसरे टेस्ट में पहली पारी में मात्र 131 और दूसरी पारी में केवल 215 रन ही बनाने में सफल हो सके।
    
दूसरे टेस्ट मैच के चौथे दिन भारत को जीत के लिए सात विकेट चटकाने थे। भारतीय गेंदबाजों ने तीसरे दिन नाबाद लौटे जैक्स कैलिस (17) और अब्राहम डिविलियर्स (33) समेत मार्क बाउचर (1), डेल स्टेन (10), पॉल हैरिस (7), लोनवालो त्सोत्सोबे (0) और मोर्न मोर्कल (20) को आउट कर जीत हासिल की।

डरबन टेस्ट मैच में ऐसे कई मौकों आए जिन्हें टर्निंग प्वांइट कहा जा सकता है। स्विंग और उठाल भरी पिच पर ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह का प्रदर्शन, टीम इंडिया का क्षेत्ररक्षण, जहीर खान की वापसी और कभी न हार मानने वाले भारत के रवैये ने मैच के साथ सीरीज का रूख भी बदलकर रख दिया है।

Sunday, December 19, 2010

सचिन "रिकॉर्ड" तेंदुलकर

क्रिकेट की किवदंती बन चुके महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर की तारीफ के लिए शायद बड़े से बड़े लेखक के पास भी अब शब्दों की कमी हो गई होगी। मास्‍टर ब्‍लास्‍टर ने सेंचुरियन के सुपर स्पोर्ट मैदान पर रविवार को 50वां टेस्ट शतक जमाकर इतिहास रच दिया। ऐसा करने वाले वो विश्व के पहले और एकमात्र बल्लेबाज हैं।  यह शतक उस खिलाड़ी ने लगाया जो पिछले 22 वर्षों से लगातार क्रिकेट खेल रहा है। आज भारत सहित पूरे विश्व क्रिकेट में सिर्फ तेंदुलकर के 50 वें शतक की चर्चा है।

क्रिकेट हो या राजनीति हमेशा से भारत का विरोधी रहा पाकिस्तान भी इस महान बल्लेबाज की तारीफ करते नहीं थक रहा है। पाकिस्‍तानी टीम के पूर्व कप्‍तान राशिद लतीफ ने कहा, 'तेंदुलकर क्रिकेट के इतिहास में सबसे महान बल्‍लेबाज का खिताब पाने के हकदार हैं।

जिस टीम के खिलाफ सचिन ने शतकों का अर्धशतक पूरा किया उसके कप्तान ग्रीम स्मिथ ने भी मास्टर को बधाई दी है। दक्षिण अफ्रीकी कप्तान लिखते हैं, 'सचिन को उनके 50वें शतक की शुभकामनाएं। कभी कभी आपको वो करना पड़ता है जो कि आपका काम है, भले ही आपका वो करने का मन हो या नहीं। हमने अंतिम सत्र में अपने लिए रास्ता बना लिया है।'

यही नहीं बड़ी-बड़ी हस्तियां भी मास्टर के इस कारनामे को नमन कर रही हैं। सुरों की मलिका आशा भोंसले ने ट्विटर पर लिखा है, सचिन को बहुत-बहुत बधाई। यदि सचिन अब भी भारत रत्न पाने का अधिकार नहीं रखते तो उन्हें इस सम्मान से कब नवाजा जाएगा।


दुनिया के महानतम बल्लेबाज सचिन ने इस पारी के दौरान मौजूदा कैलेंडर वर्ष में अपने 1500 रन भी पूरे कर लिए। उन्होंने करियर में पहली बार कैलेंडर वर्ष में 1500 से ज्यादा रन बनाए हैं। इससे पहले एक कैलेंडर वर्ष में उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 1392 रन था जो उन्होंने 2002 में बनाया था। उन्होंने एक कैलेंडर वर्ष में छठी बार 1000 से ज्यादा रन पूरे किए हैं। वे इससे पहले 1997, 1999, 2001, 2002 और 2008 में 1000 से ज्यादा रन बना चुके हैं।

अपने करियर के शुरुआत मे सचिन की खेल शैली आक्रामक हुआ करती थी। सन् 2004 से वे कई बार चोटग्रस्त रहे हैं। इस वजह से उनके क्रिकेट जीवन को समाप्त मन जाने लगा था। पूर्व ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी ईयन चैपल ने तो यहाँ तक कह दिया था कि तेंदुलकर अब पहले जैसे खिलाड़ी नहीं रहे। किन्तु 2008 में भारत के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर तेंदुलकर ने कई बार अपनी आक्रामक बल्लेबाज़ी का परिचय दिया। इसके बाद सचिन रुके नहीं और अपने हर आलोचना का करार जवाब दिया।

टेस्ट ही नहीं एकदिवसीय मैचों में भी सचिन रिकार्डों के बादशाह हैं। एकदिवसीय मैचों में सचिन ने अब तक 48 शतक लगाये हैं। चौबीस फरवरी का दिन हर भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के जेहन में ताजा होगा। ग्वालियर के कैप्टन रुप सिंह स्टेडियम में इसी दिन क्रिकेट के सुपरमैन सचिन रमेश तेंदुलकर ने दक्षिण अफ्रीका के ही खिलाफ धुआंधार पारी खेलते हुए सिर्फ 147 गेंदों में 25 चौकों, 3 गगनचुम्बी छक्कों की मदद से नाबाद 200 रन बनाए थे।

एकदिवसीय क्रिकेट के इतिहास के 40 साल और 2,961 मैचों के बाद कोई खिलाड़ी पहला दोहरा शतक लगाने में कामयाब हुआ है। इनके एकदिवसीय रिकॉर्ड का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इनका एकदिवसीय रिकॉर्ड टीम के शेष दस खिलाड़ियों के कुल रिकॉर्डो से श्रेष्ठ है। अब क्रिकेट प्रेमियों को इंतजार है सचिन के शतकों के शतक के जिससे वो सिर्फ दो कदम दूर हैं। मास्टर ब्लास्टर साल दर साल अपने प्रदर्शन से अपने आलोचकों को चौंकाते रहे हैं। टॉप ग्रेड के उनके खेल के कारण ही वे सफलता के शीर्ष पर बने हुए हैं। उनकी उपलब्धियां अद्भुत हैं। इन सारी खूबियों के बावजूद वे जमीन से जुड़े व्यक्ति हैं। हर कोई सचिन के इस 50 वें शतक की पारी को देखकर गदगद है।

Sunday, December 12, 2010

बाजारू बहाव में बांध बने सचिन

भारत के महान बल्लेबाज सचिन रमेश तेंदुलकर ने वार्षिक 20 करोड़ रुपए के शराब कंपनी का विज्ञापन ठुकरा कर जता दिया कि भारत में क्यों उन्हें भगवान की उपाधि प्राप्त है। सचिन एक महान क्रिकेटर का ही नहीं, बल्कि एक ऐसी शख्सियत का नाम है, जो अपनी सामाजिक जिम्‍मेदारियों के प्रति भी पूरी तरह से सजग हैं।

सचिन ने अपने इस फैसले से विश्व क्रिकेट जगत में धन कमाने की लालसा को खत्म करने की पहल की है। इससे न केवल नई पीढ़ी के उभरते क्रिकेटरों को बड़ी प्रेरणा मिलेगी; बल्कि क्रिकेट में मैच फिक्सिंग जैसे कारनामे करने वालों के मुंह पर भी बड़ा तमाचा लगेगा।

सचिन तेंदुलकर ने यह प्रस्ताव इसलिए ठुकराया कि उन्होंने अपने पिता रमेश तेंदुलकर से वादा किया था कि वह शराब, तंबाकू और ऐसी किसी चीज का प्रचार नहीं करेंगे, जिसका युवाओं पर गलत असर पड़े। अपने इसी वादे को निभाते हुए मास्टर ब्लास्टर ने इस विज्ञापन के प्रस्ताव को ठुकरा दिया। सचिन खुद भी शराब और तंबाकू उत्पादों के प्रचार के सख्त खिलाफ रहे हैं।

वहीं दूसरी तरफ, टीम इंडिया के युवा कप्तान महेंद्र सिंह धोनी दोनों हाथों से धन बटोर रहे हैं। पहले विजय माल्या की यूबी ग्रुप के 26 करोड़ रुपए और फिर उसके बाद मैक्स मोबाइल से 29 करोड़ रुपए का अनुबंध। विज्ञापन की इस दौड़ में धोनी ने कभी उसूलों का ख्याल नहीं रखा। पैसा कमाने के लिए धोनी ने व्हिस्की बनाने वाली रॉयल स्टेग के लिए विज्ञापन किए हैं।

सिर्फ धोनी ही नहीं बल्कि हरभजन सिंह, गौतम गंभीर और युवराज सिंह जैसे खिलाड़ी भी सोडा के नाम पर शराब बेचने वाली इस कंपनी के लिए विज्ञापन करते हैं। युवा बल्लेबाज विराट कोहली तो बॉलीवुड बाला जिनेलिया के साथ एक घड़ी और बैग के विज्ञापन में एक बिगड़ैल लड़के की भूमिका में दिखते हैं। कभी वो जिनेलिया के साथ इश्क फरमाते हैं तो कभी प्यार की निशानी को छुपाने के प्रयासों में जुटे दिखते हैं।

अभी वो बात लोगों के जेहन में ताजा होगी जब हरभजन सिंह एक शराब के विज्ञापन में अपने केश खोलकर नजर आये थे, जिसके बाद धार्मिक संगठन भड़क गये थे। बाद में हरभजन को माफी मांगनी पड़ी थी। ये सभी खिलाड़ी अभी युवा हैं, लेकिन यूथ आइकन होने के नाते इस प्रकार के विज्ञापन करना टीम इंडिया की इमेज को खराब करता है। इन सभी खिलाड़ियों को सचिन से सीख लेने की जरूरत है।

सचिन ने क्रिकेट के अलावा विज्ञापन की दुनिया में भी कई ऊंचाइयों को छू रखा है, लेकिन इसके लिए उन्होंने कभी अपने उसूलों से समझौता नहीं किया। सचिन ना तो कभी किसी चेहरे की रंगत बढ़ाने वाली क्रीम का प्रचार करते दिखे और ना ही कभी सिगरेट या शराब के विज्ञापन में।

सचिन की यही वो बात है जो उन्हें केवल एक महान क्रिकेटर ही नहीं, बल्कि एक महान इंसान बताती है।