नई दिल्ली। भारत में सन् 1982 में हुए एशियाई देशों के खेलों "एशियाड 82" के पश्चात अब दूसरी बार 19वें राष्ट्रमंडल खेलों के रूप में कोई इतना बड़ा आयोजन देश में होने जा रहा है। जिनमें 71 देशों के 8 हजार खिलाड़ी व अधिकारी, 17 विभिन्न प्रकार के खेलों में भाग लेंगे।
इन खेलों की मेजबानी के साथ देश का सम्मान भी जुड़ा हुआ है। लेकिन राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारियों में लापरवाही, पैसों की बर्बादी, भ्रष्टाचार और कथित घोटालों के तथ्य उजागर होने के बाद देश की अस्मिता एवं सम्मान दोनों दांव पर लग चुके हैं। यह जितना निराशाजनक है उतना ही क्षुब्ध करने वाला भी है। समय रहते किसी ने न तो इन बातों पर गौर किया कि राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारियां निर्धारित समय सीमा में पूरी हों और न ही खेलों के सफल आयोजन के लिए कोई समुचित कार्ययोजना बनाई जिससे खेलों की आड़ में होने वाले घोटालों का पर्दाफाश हो सके।
अब जब इन खेलों के शुरू होने में केवल 56 दिन बचे हैं तो आइए नजर डालते हैं कि इसकी मेजबानी के लिए हम कितने तैयार हैं:-
खेलों के आयोजन के लिए अभी तक सारे स्टेडियम ही तैयार नहीं हुए हैं। तैराकी स्पर्धा के लिए तैयार किए गये एस.पी. मुखर्जी स्टेडियम के पहले ही ट्रायल में पूल के टाइल्स निकल जाने की वजह से दो तैराक घायल हो चुकें हैं।
इस पूल को तैयार करने में 377 करोड़ रूपये लगे थे। दिल्ली सरकार ने 770 करोड़ रूपये के साथ इस आयोजन के लिए काम शुरू किया था लेकिन अभी तक 11 हजार करोड़ रूपये खर्च हो चुके हैं।
इन खेलों की मेजबानी के साथ देश का सम्मान भी जुड़ा हुआ है। लेकिन राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारियों में लापरवाही, पैसों की बर्बादी, भ्रष्टाचार और कथित घोटालों के तथ्य उजागर होने के बाद देश की अस्मिता एवं सम्मान दोनों दांव पर लग चुके हैं। यह जितना निराशाजनक है उतना ही क्षुब्ध करने वाला भी है। समय रहते किसी ने न तो इन बातों पर गौर किया कि राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारियां निर्धारित समय सीमा में पूरी हों और न ही खेलों के सफल आयोजन के लिए कोई समुचित कार्ययोजना बनाई जिससे खेलों की आड़ में होने वाले घोटालों का पर्दाफाश हो सके।
अब जब इन खेलों के शुरू होने में केवल 56 दिन बचे हैं तो आइए नजर डालते हैं कि इसकी मेजबानी के लिए हम कितने तैयार हैं:-
खेलों के आयोजन के लिए अभी तक सारे स्टेडियम ही तैयार नहीं हुए हैं। तैराकी स्पर्धा के लिए तैयार किए गये एस.पी. मुखर्जी स्टेडियम के पहले ही ट्रायल में पूल के टाइल्स निकल जाने की वजह से दो तैराक घायल हो चुकें हैं।
इस पूल को तैयार करने में 377 करोड़ रूपये लगे थे। दिल्ली सरकार ने 770 करोड़ रूपये के साथ इस आयोजन के लिए काम शुरू किया था लेकिन अभी तक 11 हजार करोड़ रूपये खर्च हो चुके हैं।

अब बात करते हैं राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान पूरे आयोजन का केंद्र रहने वाले जवाहरलाल नेहरु स्टेडियम की, जिसमें उद्घाटन समारोह से लेकर एथलेटिक्स, लॉन बाउल्स और भारोत्तोलन जैसी स्पर्धाएं आयोजित की जाएँगी।
नए सिरे से बने इस स्टेडियम का उद्घाटन 27 जुलाई को किया गया, लेकिन यह तय सीमा से 6 महीने बाद हुआ है। यहाँ अब भी काम जारी है, जिसका सीधा मतलब है कि उद्घाटन करना भी महज रस्म अदायगी है क्योंकि अभी इस स्टेडियम में कई चीजों पर काम चल रहा है।
इसके अलावा आर.के खन्ना स्टेडियम में बनने वाली सिंथेटिक सर्फेस के काम में भी भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। आर.के खन्ना स्टेडियम में बने 14 कोर्ट्स का सिंथेटिक सर्फेस का काम ऑस्ट्रेलियाई कंपनी रिबाउंट एस को दिया गया, जिसमें कॉमनवेल्थ ऑर्गनाइजिंग कमेटी के कोषाध्यक्ष अनिल खन्ना का बेटा आदित्य खन्ना सीईओ है।
खिलाड़ियों के आवास हेतु बनाए जा रहे राष्ट्रमंडल खेल गाँव का काम भी पूरा नहीं हुआ है। दिल्ली विकास प्राधिकरण ने यहाँ बन रहे 1100 फ्लैट को सुसज्जित करने के लिए भारतीय पर्यटन विकास निगम को सौंपा था। यहाँ अब तक काम पूरा हो जाना चाहिए था लेकिन अभी तक यह काम भी अधूरा पड़ा है।
राजधानी में इतने बड़े आयोजन के लिए दिल्ली नगर निगम सीधे तौर पर राष्ट्रकुल खेल के प्रोजेक्ट से जुड़ा ही नहीं है। डीएमसी के जिम्मे सड़कों के निर्माण से लेकर फुटपाथ, लैंडस्कैपिंग और वाहनों की पार्किंग व्यवस्था सहित साफ-सफाई से जुड़े काम थे, जो अभी तक अधूरे हैं। सभी परियोजनाओं में से सिर्फ जवाहरलाल नेहरु स्टेडियम के पास 700 बसों के लिए पार्किंग व्यवस्था करने का काम एमसीडी ने तकरीबन पूरा कर लिया है।
नए सिरे से बने इस स्टेडियम का उद्घाटन 27 जुलाई को किया गया, लेकिन यह तय सीमा से 6 महीने बाद हुआ है। यहाँ अब भी काम जारी है, जिसका सीधा मतलब है कि उद्घाटन करना भी महज रस्म अदायगी है क्योंकि अभी इस स्टेडियम में कई चीजों पर काम चल रहा है।
इसके अलावा आर.के खन्ना स्टेडियम में बनने वाली सिंथेटिक सर्फेस के काम में भी भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। आर.के खन्ना स्टेडियम में बने 14 कोर्ट्स का सिंथेटिक सर्फेस का काम ऑस्ट्रेलियाई कंपनी रिबाउंट एस को दिया गया, जिसमें कॉमनवेल्थ ऑर्गनाइजिंग कमेटी के कोषाध्यक्ष अनिल खन्ना का बेटा आदित्य खन्ना सीईओ है।
खिलाड़ियों के आवास हेतु बनाए जा रहे राष्ट्रमंडल खेल गाँव का काम भी पूरा नहीं हुआ है। दिल्ली विकास प्राधिकरण ने यहाँ बन रहे 1100 फ्लैट को सुसज्जित करने के लिए भारतीय पर्यटन विकास निगम को सौंपा था। यहाँ अब तक काम पूरा हो जाना चाहिए था लेकिन अभी तक यह काम भी अधूरा पड़ा है।
राजधानी में इतने बड़े आयोजन के लिए दिल्ली नगर निगम सीधे तौर पर राष्ट्रकुल खेल के प्रोजेक्ट से जुड़ा ही नहीं है। डीएमसी के जिम्मे सड़कों के निर्माण से लेकर फुटपाथ, लैंडस्कैपिंग और वाहनों की पार्किंग व्यवस्था सहित साफ-सफाई से जुड़े काम थे, जो अभी तक अधूरे हैं। सभी परियोजनाओं में से सिर्फ जवाहरलाल नेहरु स्टेडियम के पास 700 बसों के लिए पार्किंग व्यवस्था करने का काम एमसीडी ने तकरीबन पूरा कर लिया है।

आयोजन पर अनुमानित व्यय
मात्र बारह दिन के राष्ट्रमंडल खेलों के इस आयोजन पर शुरु में कुल 63,284 करोड़ रुपयों के खर्च होने का अनुमान लगाया गया था। इसमें दिल्ली सरकार का अपना योगदान 16,580 करोड़ रुपयों का था। लेकिन ताजा आकलन के अनुसार सभी परियोजनाओं को पूरा करने में 80 हजार करोड़ से भी ज्यादा के खर्च होने की उम्मीद है।
जानकारी के मुताबिक, खेलों की हाई-टेक सुरक्षा का ही ठेका एक कंपनी को 370 करोड़ रूपये में दिया गया है। किन्तु यह उस खर्च के अतिरिक्त होगा, जो सरकारी पुलिस, यातायात पुलिस और सुरक्षा बलों की तैनाती के रुप में होगा और सरकारी सुरक्षा एजेंसियां स्वयं विभिन्न उपकरणों की विशाल मात्रा में खरीदारी करेंगी।
खेलों में व्याप्त भ्रष्टाचार
राष्ट्रमंडल खेल देश के लिए जितना बड़ा आयोजन है उससे भी ज्यादा इन खेलों में घोटाले हुए हैं। आयोजन से जुड़ी 16 परियोजनाओं में केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने 2,500 करोड़ रुपए से अधिक की अनियमितिता का खुलासा किया है।
सीवीसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रमंडल खेल गांव तरणताल, प्रशिक्षण हॉल और एथलेटिक्स ट्रैक सहित इन खेलों से जुड़ी 16 परियोजनाओं के दौरान भारी अनियमितिता बरती गई है।
इसके अलावा दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए), केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) द्वारा नेशनल स्टेडियम और एसपीएम तैराकी स्थल में किए गए पुनर्निमाण कार्य के दौरान भी धांधली की गई है।
इन परियोजनाओं में खेल संकुलों का उन्नयन और सड़कों को चौड़ा करने संबंधी परियोजनाएं शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि सीवीसी ने इस मामले में दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) सहित कुछ और एजेंसियों के अधिकारियों के विरुद्ध सीबीआई से जांच करने को कहा है।
एक ओर जहाँ केंद्रीय सतकर्ता आयोग ने अपनी रिपोर्ट में यह कहा है कि ज़्यादातर निर्माण कार्य में प्रक्रिया संबंधी उल्लंघन पाए गए हैं, तो दूसरी ओर एक अनजानी सी कंपनी को लाखों पाउंड देने का मामला भी तूल पकड़ रहा है। ताज़ा मामला लंदन की एक ऐसी कंपनी का है जिसे लाखों पाउंड दिए गए। एक निजी टीवी चैनल ने अपनी विशेष रिपोर्ट में इस कंपनी पर कई गंभीर सवाल उठाए हैं।
हालाँकि राष्ट्रमंडल खेलों की आयोजन समिति के महासचिव ललित भनोट का कहना है कि जो भी पैसे कंपनी के खाते में स्थानांतरित किए गए हैं, उसके लिए सभी प्रक्रियाओं का पालन किया गया।
भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद हड़बड़ी में बुलाए गए एक संवाददाता सम्मेलन में ललित भनोट ने कहा, "हमने रिज़र्व बैंक से अनुमति ली थी। कंपनी से सामान ख़रीदने के लिए जो भी प्रक्रिया का पालन करना था, हमने किया। हर चीज़ें पारदर्शी हैं।"
इनके अलावा राष्ट्रमंडल खेलों के लिए खरीदी गई डीटीसी की बसों में भी भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। इन डीटीसी की बसों में हल्की क्वालिटी के सामानों का इस्तेमाल हुआ है। इस सिलसिले में सीबीआई ने सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट यानी सीआईआरटी के तीन अधिकारियों और अशोक लेलैंड के दो नुमांइदों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। इन पर आपराधिक साजिश रचने, धोखाधड़ी, जालसाजी और भ्रष्टाचार के मामलों में केस दर्ज किया जा चुका है।
उल्लेखनीय है कि राजधानी दिल्ली की सड़कों पर 3000 लो फ्लोर बसें हैं। डीटीसी ने अशोक लेलैंड कंपनी को 5,000 सीएनजी बसों का ऑर्डर दिया था।
इन सब खुलासों के बाद देशवासियों के सामने एक ही प्रश्न है, कैसे रहेगी देश की शान, जिसको मिट्टी में मिलाने में कुछ नेताओं ने कोई कसर नहीं छोड़ी है।
वीएचवी। सुनील दूबे। खेल संवाददाता। 06 अगस्त, 2010
मात्र बारह दिन के राष्ट्रमंडल खेलों के इस आयोजन पर शुरु में कुल 63,284 करोड़ रुपयों के खर्च होने का अनुमान लगाया गया था। इसमें दिल्ली सरकार का अपना योगदान 16,580 करोड़ रुपयों का था। लेकिन ताजा आकलन के अनुसार सभी परियोजनाओं को पूरा करने में 80 हजार करोड़ से भी ज्यादा के खर्च होने की उम्मीद है।
जानकारी के मुताबिक, खेलों की हाई-टेक सुरक्षा का ही ठेका एक कंपनी को 370 करोड़ रूपये में दिया गया है। किन्तु यह उस खर्च के अतिरिक्त होगा, जो सरकारी पुलिस, यातायात पुलिस और सुरक्षा बलों की तैनाती के रुप में होगा और सरकारी सुरक्षा एजेंसियां स्वयं विभिन्न उपकरणों की विशाल मात्रा में खरीदारी करेंगी।
खेलों में व्याप्त भ्रष्टाचार
राष्ट्रमंडल खेल देश के लिए जितना बड़ा आयोजन है उससे भी ज्यादा इन खेलों में घोटाले हुए हैं। आयोजन से जुड़ी 16 परियोजनाओं में केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने 2,500 करोड़ रुपए से अधिक की अनियमितिता का खुलासा किया है।
सीवीसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रमंडल खेल गांव तरणताल, प्रशिक्षण हॉल और एथलेटिक्स ट्रैक सहित इन खेलों से जुड़ी 16 परियोजनाओं के दौरान भारी अनियमितिता बरती गई है।
इसके अलावा दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए), केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) द्वारा नेशनल स्टेडियम और एसपीएम तैराकी स्थल में किए गए पुनर्निमाण कार्य के दौरान भी धांधली की गई है।
इन परियोजनाओं में खेल संकुलों का उन्नयन और सड़कों को चौड़ा करने संबंधी परियोजनाएं शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि सीवीसी ने इस मामले में दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) सहित कुछ और एजेंसियों के अधिकारियों के विरुद्ध सीबीआई से जांच करने को कहा है।
एक ओर जहाँ केंद्रीय सतकर्ता आयोग ने अपनी रिपोर्ट में यह कहा है कि ज़्यादातर निर्माण कार्य में प्रक्रिया संबंधी उल्लंघन पाए गए हैं, तो दूसरी ओर एक अनजानी सी कंपनी को लाखों पाउंड देने का मामला भी तूल पकड़ रहा है। ताज़ा मामला लंदन की एक ऐसी कंपनी का है जिसे लाखों पाउंड दिए गए। एक निजी टीवी चैनल ने अपनी विशेष रिपोर्ट में इस कंपनी पर कई गंभीर सवाल उठाए हैं।
हालाँकि राष्ट्रमंडल खेलों की आयोजन समिति के महासचिव ललित भनोट का कहना है कि जो भी पैसे कंपनी के खाते में स्थानांतरित किए गए हैं, उसके लिए सभी प्रक्रियाओं का पालन किया गया।
भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद हड़बड़ी में बुलाए गए एक संवाददाता सम्मेलन में ललित भनोट ने कहा, "हमने रिज़र्व बैंक से अनुमति ली थी। कंपनी से सामान ख़रीदने के लिए जो भी प्रक्रिया का पालन करना था, हमने किया। हर चीज़ें पारदर्शी हैं।"
इनके अलावा राष्ट्रमंडल खेलों के लिए खरीदी गई डीटीसी की बसों में भी भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। इन डीटीसी की बसों में हल्की क्वालिटी के सामानों का इस्तेमाल हुआ है। इस सिलसिले में सीबीआई ने सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट यानी सीआईआरटी के तीन अधिकारियों और अशोक लेलैंड के दो नुमांइदों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। इन पर आपराधिक साजिश रचने, धोखाधड़ी, जालसाजी और भ्रष्टाचार के मामलों में केस दर्ज किया जा चुका है।
उल्लेखनीय है कि राजधानी दिल्ली की सड़कों पर 3000 लो फ्लोर बसें हैं। डीटीसी ने अशोक लेलैंड कंपनी को 5,000 सीएनजी बसों का ऑर्डर दिया था।
इन सब खुलासों के बाद देशवासियों के सामने एक ही प्रश्न है, कैसे रहेगी देश की शान, जिसको मिट्टी में मिलाने में कुछ नेताओं ने कोई कसर नहीं छोड़ी है।
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ReplyDeletesahi baat hai ... dhajiya abi udi kaha hai ab to udengi ... dekhte jao aage -2 hota hai kya... uper se delhi mein Monsoon barish ne to jaise central govt. ka chitthaa kholne ki thaan li hai .. aaye din barish k karan commenwealth game ki taiyarian news mein to chodo hmari aankho k samne dikh hi jati hai .......
ReplyDelete-Arti Sharma