नई दिल्ली, 01 अप्रैल (हि.स.)। पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं क्रिकेट बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष एनकेपी साल्वे का रविवार सुबह एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। 90 वर्षीय साल्वे को भारतीय उपमहाद्वीप में क्रिकेट विश्व के आयोजन के लिए पहचाना जाता है। साल्वे ने भारत में 1987 में विश्व कप का आयोजन कराया था।
उनके परिवार में उनके पुत्र एवं जाने माने अधिवक्ता हरीश साल्वे तथा पुत्री अरुंधति हैं। उनकी पत्नी का उनसे कुछ समय पहले निधन हो गया था। सूत्रों ने बताया कि एनकेपी साल्वे को कुछ दिन पहले अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां उनका निधन हो गया। मध्य प्रदेश के छिन्दवाड़ा में जन्मे साल्वे वर्षों तक क्रिकेट प्रशासन से जुड़े रहे। साल्वे केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे और इस्पात तथा कुछ अन्य मंत्रालयों का प्रभार संभाला। उनके पार्थिव शरीर को रविवार रात नागपुर ले जाया जाएगा और अंतिम संस्कार सोमवार को होगा।
वर्ष 1987 मे हुए विश्व कप संस्करण को रिलायंस ने प्रायोजित किया था और इसी कारण इसे रिलायंस कप के नाम से जाना गया था। इससे पहले, 1975, 1979 और 1983 के विश्व कप का आयोजन प्रूडेंशियल कप के नाम से इंग्लैंड में हुआ था। क्रिकेट के जनक के तौर पर इंग्लैंड की साख उस समय इतनी जबरदस्त थी कि विश्व कप जैसे आयोजन के कहीं और कराने की बात सोची भी नहीं जा सकती थी। हालांकि साल्वे ने इस मिथक को तो़डते हुए भारत में विश्व कप का आयोजन कराया, जो बेहद सफल रहा। साल्वे के इसी प्रयास के सम्मान में बीसीसीआई ने उनके नाम से 1998 में एकदिवसीय घरेलू क्रिकेट टूर्नामेंट की शुरूआत की, जो इनके नाम पर एनकेपी साल्वे चैलेंजर ट्रॉफी के रुप में खेली जाती है।
एनकेपी साल्वे चैलेंजर सीरीज ट्रॉफी का आयोजन रणजी सत्र की शुरूआत से ठीक पहले अक्टूबर में होता है। इसमें तीन टीमें हिस्सा लेती हैं, जिन्हें इंडिया रेड, इंडिया ब्ल्यू और इंडिया ग्रीन नाम से जाना जाता है। वर्ष 2006 तक इस टूर्नामेंट में हिस्सा लेने वाली टीमों को इंडिया सीनियर, इंडिया-ए और इंडिया-बी के नाम से जाना जाता था। इंडिया सीनियर ने सबसे अधिक छह बार यह खिताब जीता है।
हिन्दुस्थान समाचार/01.04.2012/आकाश।
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