Wednesday, March 25, 2015

साल 2014 रहा भारत की महिला खिलाड़ियों नाम
साल 2014 भारत की महिला खिलाड़ियों के लिए उपलब्धियों भरा साबित हुआ। इस साल 2 बड़े खेलों राष्ट्रमंडल खेल (ग्लासगो) और एशियाई खेलों (इंचियोन) का आयोजन किया गया जिसमें भारतीय महिला खिलाड़ियों ने सफलता के कई झंडे गाड़े। राष्ट्रमंडल खेलों में महिला खिलाड़ियों ने दमदार प्रदर्शन किया और देश के पुरुष खिलाड़ियों को बराबरी की टक्कर दी। भारत ने यहां कुल 15 स्वर्ण, 30 रजत और 19 कांस्य पदक जीते, जिसमें पुरुष खिलाड़ियों ने 9 स्वर्ण, 17 रजत और 9 कांस्य सहित कुल 35 पदक जीते। वहीं, महिला खिलाड़ियों ने 6 स्वर्ण, 13 रजत और 10 कांस्य सहित कुल 29 पदक जीते। पुरुष और महिला खिलाड़ियों के ओवरऑल प्रदर्शन में सिर्फ 6 पदकों का फासला रहा। वहीं यही एशियाई खेलों में भारत ने 11 स्वर्ण, 10 रजत समेत कुल 57 पदक जीते जिसमें महिला खिलाड़ियों ने 5 स्वर्ण, 4 रजत और 18 कांस्य पदक जीते। सानिया मिर्जा, देश की सबसे सफल महिला टेनिस खिलाड़ी। उनके लिए यह साल थोड़ा विवादों से घिरा रहा लेकिन कोर्ट पर उन्होंने जबर्दस्त कामयाबी हासिल की।

सानिया ने साल के चौथे ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंट अमेरिकी ओपन में मिश्रित युगल जीता जो उनके करियर का तीसरा मेजर युगल खिताब है। इससे पहले वह ऑस्ट्रेलियन ओपन (2009) और फ्रेंच ओपन (2012) जीत चुकी हैं।

अमेरिकी ओपन में ब्रूनो सोयर्स के साथ मिश्रित युगल का खिताब जीतने के बाद सानिया ने जिंबाब्वे की कारा ब्लैक के साथ जोड़ी बनाते हुए डब्‍ल्यूटीए टूर फाइनल्स का खिताब भी जीत लिया। डब्‍ल्यूटीए टूर फाइनल्स जीतने वाली वह भारत की पहली महिला खिलाड़ी बनीं। वहीं, उन्होंने एशियाड में पहले खेलने से इनकार करने के बाद खेलने का मन बनाया और मिश्रित युगल में साकेत मायेनी के साथ स्वर्ण पदक जीता और फिर महिला युगल में कांस्य भी हासिल किया।

5 बार की वर्ल्ड चैंपियन महिला मुक्केबाज एमसी मैरीकॉम ने इस साल भी सफलता का परचम लह‌राया। वह दुनिया की एकमात्र ऐसी महिला मुक्केबाज हैं जिन्होंने 6 वर्ल्ड चैंपियनशिप में पदक जीते जिसमें 5 तो खिताब ही शामिल है।
2010 में खेले गए ग्‍ंवाझू एशियाड में कांस्य पदक जीतने वाली मैरीकॉम ने इस बार इंचियोन एशियाई खेलों की फ्लाइवेट वर्ग में गोल्ड हासिल कर देश को पीला तमगा दिलाया। एशियाड में स्वर्ण जीतने वाली वह भारत की पहली महिला मुक्केबाज बनीं।
रिंग के बाहर भी उनके लिए यह साल बेहद शानदार रहा, उनकी जीवन और संघर्षों पर आधारित फिल्म 'मैरीकॉम' रिलीज हुई। इस फिल्म की नायिका प्रियंका चोपड़ा थीं जिन्होंने मैरीकॉम का रोल निभाया। यह फिल्म हिट रही।
देश की सबसे खूबसूरत और बेहतरीन महिला खिलाड़ियों में गिना जाता है दीपिका पल्लीकल को। उन्होंने इस साल देश के लिए कई कामयाबियां हासिल की। ग्लासगो राष्ट्रमंडल में उन्होंने जोशना चिनप्पा के साथ मिलकर स्‍क्वैश्‍ा में महिला युगल का स्वर्ण जीता।
स्‍क्वैश में गोल्डन सफलता के साथ-साथ भारत का राष्ट्रमंडल खेलों में इस स्पर्धा से यह पहला पदक भी है। महिला युगल मुकाबले में भारतीय टीम की जीत इस लिहाज ऐतिहासिक है क्योंकि उसने फाइनल में इंग्लैंड की वर्ल्ड नंबर वन जोड़ी को हराया। पांचवी वरीयता प्राप्त दीपिका और जोशना की जोड़ी ने इंग्लैंड की जोड़ी को बेहद आसान मुकाबले में 11-6, 11-8 से हराकर देश को इस खेल का पहला गोल्ड दिलाया। दिलचस्प यह रहा कि राष्ट्रमंडल खेलों के इतिहास में इस स्पर्धा में भारत का अब तक यह‌पहला पदक भी है।

इसके बाद दीपिका ने एशियाई खेलों के भा शानदार प्रदर्शन किया और सेमीफाइनल में पहुंचकर कांस्य पदक जीता। वह दोनों बड़े गेम्स में स्‍क्वैश में पदक जीतने वाली भारत की पहली खिलाड़ी बनी। फरवरी, 2010 में वह दुनिया की शीर्ष 10 खिलाड़ियों की सूची में फिर से शामिल हुईं। शीर्ष 10 के अंदर पहुंचने वाली वह भारत की पहली खिलाड़ी हैं। इसके अलावा उन्हें इस साल देश के चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्मश्री से भी नवाजा गया।
साइना नेहवाल
बैडमिंटन को देश में लोकप्रिय बनाने वाली साइना नेहवाल के लिए यह साल सफलताओं से भरा रहा। पिछले साल वह एक भी खिताब नहीं जीत सकी थी। लेकिन पिछले साल की असफलता को पीछे छोड़ते हुए उन्होंने इस साल 3 बड़े खिताब जीते, जिसमें चाइना ओपन सुपर सीरीज अहम है। साइना ने चाइना ओपन के अलावा इंडियन ओपन ग्रैंड प्रिक्स गोल्ड और ऑस्ट्रेलियन ओपन सुपर सीरीज जीता। इसके अलावा वह उबेर कप में कांस्य पदक जीतने वाली टीम का हिस्सा भी रहीं।
साथ ही वह लंबे समय बाद फिर से रैंकिंग में ऊपर चढ़ रही हैं। वह रैंकिंग में चौथे पायदान पर पहुंच गई हैं। हालां‌कि उनकी सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग 2 है जो उन्होंने दो बार 2 दिसंबर 2010 और 20 जुलाई 2013 को हासिल की थी। साइना ने अपने करियर को और बेहतर करने के लिए पुलेला गोपीचंद का साथ छोड़कर विमल कुमार को अपना नया कोच नियुक्त कर लिया। विमल भी देश के जाने-माने बैडमिंटन खिलाड़ी रहे हैं
भारत में साइना नेहवाल के बाद पीवी सिंधू बैडमिंटन में सफल खिलाड़ियों में दूसरा बड़ा नाम है। जो काम साइना नहीं कर सकीं वो सिंधू ने कर दिखाया। पिछले साल की तरह इस बार भी उन्होंने वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता। 2013 में भी इस टूर्नामेंट में कांस्य पदक हासिल किया था। वह वर्ल्ड चैंपियनशिप में दो पदक जीतने वाली भारत की पहली और एकमात्र बैडमिंटन खिलाड़ी हैं।
इसके अलावा 3 अन्य बड़े स्पर्धाओं में भी कांस्य जीता। उबेर कप में भारत की महिला टीम ने कांस्य पदक जीता जिसमें सिंधू शामिल थी। साथ ही इसी साल इंचियोन में हुए एशियाई खेलों में उन्होंने टीम स्पर्धा में कांस्य पदक देश को दिलाया।
ग्लासगो में खेले गए राष्ट्रमंडल खेलों में भी सिंधू ने महिलाओं की एकल स्पर्धा में कांस्य पदक जीता। उनकी सफलता के शानदार ट्रैक पर एक यही कमी है कि हर बार उनके खाते में कांस्य पदक ही आया है। साल के अंत में सिंधू ने मकाऊ ओपन में खिताबी जीत हासिल की। उन्‍होंने लगातार दूसरी बार मकाऊ ओपन जीता है। हैदराबाद की 19 साल की इस बेहतरीन खिलाड़ी को एनडीटीवी ने स्पोटर्स पसर्न ऑफ द इयर के खिताब से भी नवाजा है।।
एल सरिता देवी
महिला मुक्केबाल एल सरिता देवी के खाते में भले ही कई बड़े खिताब न हों लेकिन उन्होंने इस साल दक्षिण कोरिया के इंचियोन में खेले गए एशियाई खेलों में जो साहस दिखाया उसके लिए उन्हें लंबे समय तक याद किया जाएगा।
लाइटवेट भार वर्ग में सेमीफाइनल मुकाबले में उन्हें मेजबान कोरियाई प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ हारा हुआ घो‌षित कर दिया गया तो वह इस फैसले से चौंक गई और रोने लगीं। भारतीय टीम ने इस फैसले के खिलाफ अपील भी की लेकिन एआईबीए की तकनीकी टीम ने इसे रद्द कर दिया। बाद में उन्होंने विरोधस्वरूप पदक पहनने से इनकार कर दिया। उन्होंने वह पदक रजत पदक विजेता जिससे हारी थी उसे सौंप दिया। उनके इनकार के बाद मामला और गरमा गया।

हालांकि बाद में भारी दबाव के बीच उन्होंने माफी मांगते हुए पदक को स्वीकार कर लिया। वहीं एआईबीए ने उन पर अस्थाई प्रतिबंध लगा रखा है। उनको प्रतिबंधित किए जाने का भारतीय खेल मंत्री के अलावा सचिन तेंदुलकर और विराट कोहली जैसे लोग भी विरोध कर चुके हैं।
कबड्डी
अंतरराष्ट्रीय कबड्डी में भारत का दमखम अभी भी बना हुआ है। एशियाई खेलों में जब से कबड्डी को शामिल किया गया है तब से भारत ने गोल्ड ही गोल्ड जीते हैं।
कबड्डी में पुरुष वर्ग को 1990 से ही शामिल किया गया और भारतीय टीम तब से चैंपियन हैं। जहां तक महिला कबड्डी का सवाल है तो उसे 2010 में पहली बार एशियाई खेलों का हिस्सा बनाया गया।
ग्वांझू (चीन) के बाद 2014 में इंचियोन एशियाड भी भारत की महिला टीम ने देश को पीला तमगा दिलाया। फाइनल में उसने इरान को 30-21 से हराया।
'मिलेनियम चाइल्ड' सीमा अंतिल
हरियाणा के सोनिपत में जन्मी और 'मिलेनियम चाइल्ड' कही जाने वाली सीमा अंतिल ने कम उम्र से ही देश के लिए पदक जीतने का काम शुरू कर दिया था। 17 साल की उम्र में उन्होंने 2000 में जूनियर चैंपियनशिप में देश को स्वर्ण पदक दिलाया था। बाद में डोपिंग में फंसी लेकिन अब वह उस बुरे दौर से बाहर निकल चुकी हैं और उन्होंने साल 2014 में देश के लिए स्वर्णिम प्रदर्शन भी किया है।
सीमा अंतिल अब सीमा अंतिल पुनिया हो गई हैं क्योंकि उनकी शादी उत्तर प्रदेश के मेरठ में हुई है। सीमा के लिए भी यह साल बेहद शानदार रहा। उन्होंने डिस्कस थ्रो में ग्लासगो राष्ट्रमंडल खेलों में देश के लिए रजत पदक जीता। इसके बाद उन्होंने अपने प्रदर्शन में और सुधार करते हुए इंचियोन एशियाड इसी स्पर्धा में स्वर्ण पदक पर कब्जा जमा लिया।
एथलेटिक्स में दोनों स्वर्ण महिलाओं ने दिलाए। सीमा के अलावा महिलाओं की चार गुना चार सौ मीटर रेस में प्रियंका पवार, टिंटू लुका, मंदीप कौर और पूवम्‍मा माचेटीरा ने शानदार खेल दिखाते हुए देश को पीला तमगा दिलाया।
भारतीय महिला निशानेबाज
भारतीय निशानेबाजों ने 2014 के राष्ट्रमंडल खेलों में शानदार प्रदर्शन किया। महिलाओं ने भी देश को कई पदक दिलाए। निशानेबाज अपूर्वी चंदीला ने महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में जोरदार मुकाबले में स्वर्ण पदक जीता। उनकी यह जीत इस लिहाज से बेहद खास रही क्योंकि उनका यह पहला अंतरराष्ट्रीय पदक भी है।
17वें नंबर की निशानेबाज ने वर्ल्ड नंबर 8 की खिलाड़ी को हराया। क्वालीफिकेशन राउंड में अपूर्वा ने गेम्स रिकॉर्ड के साथ फाइनल में जगह बनाई थी। उनके अलावा राही सरनोबत ने 25 मीटर पीस्टल शूटिंग में देश को पीला तमगा दिलाया। 23 साल की यह निशानेबाज सेमीफाइनल में 16 अंकों के बड़े अंतर के साथ फाइनल में पहुंची थी। हालांकि उनका यह प्रदर्शन एशियाई खेलों में नहीं दिखा और एक भी पदक नहीं जीत सकी।
दीपा कर्माकर
दीपा कर्माकर जिम्नास्टिक में तेजी से उभरता नाम है। उन्होंने इस साल ग्लासगो राष्ट्रमंडल खेलों में जबर्दस्त खेल दिखाया और भारत को महिला वर्ग में पहली बार इस खेल से कोई पदक दिलाया।
दीपा ने ऐतिहासिक प्रदर्शन किया और इस खेल में भारत का लगातार दूसरी बार खाता जारी रखा। पिछली बार आशीष ने भारत का खाता खोला था तो इस बाद दीपा ने। त्रिपुरा की दीपा ने राष्ट्रमंडल खेलों में महिलाओं की वोल्ट स्पर्धा में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया। दीपा को राष्ट्रमंडल में पदक जीतने वाली देश की पहली भारतीय महिला जिम्नास्ट बनने का गौरव हासिल हुआ।  20 वर्षीय दीपा महिलाओं की व्यक्तिगत वॉल्ट स्पर्धा में 14.366 के स्कोर के साथ तीसरे स्‍थान पर रहकर देश का इस खेल में पदकों का खाता खोला। हालांकि उन्होंने टीम स्पर्धा में भी शानदार प्रदर्शन किया लेकिन भारतीय टीम पदक से चूक गईं।
कुश्ती
कुश्ती में भारत के लिए यह साल अच्छा रहा खासकर महिला पहलवानों की लिहाज से। राष्ट्रमंडल खेलों में महिला पहलवानों ने 2 गोल्ड के अलावा 3 सिल्वर और एक कांस्य पदक जीता। जबकि एशियाई खेलों में महिला पहलवानों ने 2 कांस्य पदक जीते।

48 किग्रा फ्रीस्टाइल भार वर्ग में वीनेश फोगाट ने राष्ट्रमंडल में स्वर्ण पदक जीता वहीं एशियाई खेलों में वह देश को कांस्य पदक ही दिला सकी। वीनेश के बाद गीतिका जाखड़ (63 क्रिग्रा) ही ऐसी दूसरी भारतीय महिला पहलवान हैं जिन्होंने इस साल हुए दोनों बड़े खेल आयोजनों में पदक जीते हैं। राष्ट्रमंडल में गीतिका ने रजत तो एशियाई खेलों में कांस्य पदक हासिल किया। बबीता कुमारी ने 55 किग्रा वर्ग में राष्ट्रमंडल खेलों में गोल्ड जीता

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