Monday, October 25, 2010

19वें भ्रष्टाचार खेलों का स्वर्ण किसको?

खेलों के अर्धकुम्भ 19वें राष्ट्रमंडल खेलों के ख़त्म होने के बाद अब घपले की जाँच का नया खेल शुरू हो गया है। अब देखना ये है कि इस खेल में कौन जायगा और कौन बचेगा? भ्रष्टाचार का स्वर्ण पदक कौन जीतेगा? राष्ट्रमंडल खेल रूपी इस अर्धकुम्भ के भ्रष्टाचार के खेल में कई बड़े खिलाड़ी प्रतियोगिता का स्वर्ण जीतने के लिए मैदान में हैं। सुरेश कलमाड़ी और दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित इस दौड़ में सबसे आगे हैं। इनके अलावा और भी कई खिलाड़ी हैं जो समय के साथ-साथ पदक की दौड़ में शामिल होते जायेंगे।

यह प्रतियोगिता राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी मिलने के साथ ही शुरू हो गई थी। खेलों की मेजबानी के साथ देश का सम्मान भी जुड़ा हुआ था, लेकिन राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारियों में लापरवाही, पैसों की बर्बादी, भ्रष्टाचार और कथित घोटाले जितने निराशाजनक हैं उतने ही क्षुब्ध करने वाले भी हैं। राष्ट्रमंडल खेलों के इस आयोजन पर शुरु में कुल 63,284 करोड़ रुपयों के खर्च होने का अनुमान लगाया गया था। इसमें दिल्ली सरकार का अपना योगदान 16,000 करोड़ रुपयों का था। लेकिन ताजा आकलन के अनुसार सभी परियोजनाओं को पूरा करने में अनुमान से कहीं ज्यादा तकरीबन 70 हजार करोड़ रुपये खर्च हुए हैं, या यूँ कहें कि ये खर्च जबरन किये गए, तो ज्यादा सही होगा।

राष्‍ट्रमंडल खेलों पर भ्रष्टाचार के इस खेल में आयोजन से जुड़ी 16 परियोजनाओं में केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने 2,500 करोड़ रुपए से अधिक के घपले का खुलासा किया।

सीवीसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रमंडल खेल गांव का तरणताल, प्रशिक्षण हॉल और एथलेटिक्स ट्रैक सहित इन खेलों से जुड़ी 16 परियोजनाओं में निर्माण के दौरान भारी अनियमितता बरती गई है।

इसके अलावा दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए), केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) द्वारा नेशनल स्टेडियम और एसपीएम तैराकी स्थल में किए गए पुनर्निमाण कार्य के दौरान भी धांधली की गई है। इन परियोजनाओं में खेल संकुलों का उन्नयन और सड़कों को चौड़ा करने संबंधी परियोजनाएं शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि सीवीसी ने इस मामले में दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) सहित कुछ और एजेंसियों के अधिकारियों के विरुद्ध सीबीआई से जांच कराने को कहा है।

एक ओर जहाँ केंद्रीय सतकर्ता आयोग ने अपनी रिपोर्ट में यह कहा है कि ज़्यादातर निर्माण कार्य में प्रक्रिया संबंधी उल्लंघन पाए गए हैं, तो दूसरी ओर एक अनजानी सी कंपनी को लाखों पाउंड देने का मामला भी तूल पकड़ रहा है। ताज़ा मामला लंदन की एक ऐसी कंपनी का है जिसे लाखों पाउंड दिए गए। एक निजी टीवी चैनल ने अपनी विशेष रिपोर्ट में इस कंपनी पर कई गंभीर सवाल उठाए हैं।

राष्ट्रमंडल खेलों के समापन समारोह के फौरन बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भ्रष्टाचार के खेल में शामिल सभी खिलाड़ियों के खिलाफ जांच के आदेश दे दिए। इस कड़ी में पहला कदम बढ़ाते हुए आयकर विभाग ने भ्रष्टाचार के खेल में भाजपा नेता सुधांशु मित्तल के आवास पर तथा दिल्ली में कुल 25 स्थानों पर छापे मारे।

मित्तल खेलों के लिए स्पोर्टस के सामानों के सप्लायर दीपाली कन्सॉर्टियम से जुड़े रहे हैं। दीपाली कन्सॉर्टियम को राष्ट्रमंडल खेलों में खेल से संबंधित सामानों की सप्लाई का ठेका मिला हुआ था। लेकिन मित्तल पर संदेह कहीं न कहीं सरकार द्वारा विपक्षी दल भाजपा को घेरने कि साजिश ही प्रतीत होती है, क्योंकि मित्तल ने तो अन्य ठेकेदारों की तरह सिर्फ टेंडर ही भरा यानी उन्होंने व्यापार किया। उनका टेंडर पास करना तो आयोजन समिति के हाथों में था।

इनके अलावा राष्ट्रमंडल खेल समिति के सदस्य हरीश शर्मा के घर पर भी छापेमारी की गई। खेल परियोजनाओं से जुड़े दिल्ली के तीन-चार अन्य ठेकेदारों के ठिकानों पर भी छापेमार की गई है। सवाल यह उठता है कि मित्तल और अन्य ठेकेदारों के साथ-साथ उन्हें ठेका देकर आयोजन समिति भी कहीं न कहीं दोषी है। फिर मित्तल सहित अन्य ठेकेदारों के ठिकानों पर ही छापे क्यों ? यह एक बड़ा प्रश्न है।

अब बात करते हैं खेल गाँव की, जहाँ खिलाड़ियों को ठहरना था। खेल गाँव को बनाने का ठेका एएमआर-एमजीएफ को मिला था लेकिन कम्पनी ने काम समय पर पूरा नहीं करके पूरे विश्व में भारत को शर्म से झुकने पर मजबूर कर दिया। और तो और व्यवस्था में लगे स्वयंसेवकों को भी गन्दा खाना परोसा गया, जिसको पकाने का ठेका एकता शक्ति फाउन्डेशन को दिया गया था।

ये तो प्रतियोगिता में भाग ले रहे छोटे खिलाड़ी थे। इनके अलावा न जाने और कितने ऐसे खिलाड़ी हैं जो अभी तक सामने नहीं आये हैं। अब बात करते हैं प्रमुख खिलाड़ी सुरेश कलमाड़ी की, जिन्होंने अपनी साथी खिलाड़ी मुख्यमंत्री शीला दीक्षित पर निशाना साधते हुए कहा कि शीला के पास खेलों से जुड़ी तैयारियों के लिए 16,000 करोड़ का बजट था, लेकिन मैंने उन पर कभी भी किसी प्रकार का आरोप नहीं लगाया। मेरा बजट तो सिर्फ 16,00 करोड़ रुपये का था। निर्माण कार्य मेरे जिम्मे नहीं था। क्या शीला के पास इसका जवाब है?

प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने भी घोटालों के विजेता की घोषणा करने के लिए राष्ट्रमंडल खेलों की समाप्ति के बाद एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया है। पूर्व सीएजी (नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) वी.के. शुंगलू की अध्यक्षता में गठित यह समिति तीन महीने के अंदर प्रधानमंत्री को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।

खेलों में घपले की जाँच की प्रतियोगिता शुरू है और देखना यह है कि इस प्रतियोगिता का स्वर्ण पदक किसको मिलता है और विजेता को सरकार किस प्रकार सम्मानित करती है। हालांकि, इस जाँच के खेल को ड्रा करने के लिए कोई और खेल आयोजित किए जाने की भी संभावना व्यक्त की जा रही है।

Tuesday, October 19, 2010

नाच न जाने आँगन टेढ़ा

लाहौर। पाकिस्तान भारत को हमेशा नीचा दिखने की फ़िराक में लगा रहता है फिर वो चाहे राजनीति हो या खेल का मैदान। 19 वें राष्ट्रमंडल खेलों में भारत के हाथों 7-4 से करारी शिकस्त झेलने के बाद अपने आपको बचाते हुए पाकिस्तान ने हार का ठीकरा भारतीय दर्शकों पर ही फोड़ दिया। अब पाकिस्तानियों को कौन समझाए कि खेल में प्रदर्शन अहम् होता हैं न कि दोषारोपण। भारतीय टीम जब पाकिस्तान में होती है तो उनपर भी दर्शक हुटिंग करते हैं भारतीय टीम तो कभी इस बात का रोना नहीं रोती।  

खैर पाकिस्तानियों ने अपने देश में खेलप्रेमियों के गुस्से से बचने के लिए भारतीय दर्शकों को ही हथियार बना लिया है।

पाकिस्तानी हॉकी टीम के कप्तान जीशान अशरफ ने कहा है कि राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान उनकी टीम को भारतीय दर्शकों के दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा है। नवंबर, 2008 के मुंबई हमले के बाद से भारतीय दर्शक पाकिस्तानी टीम के साथ उग्रता से पेश आते रहे हैं। खेलों के दौरान दर्शकों ने खिलाड़ियों से अपशब्द भी कहे, जिसका असर हमारे प्रदर्शन पर भी पड़ा।

पाकिस्तान हॉकी फेडरेशन (पीएचएफ) के सचिव आसिफ बाजवा ने भी भारतीयों पर आरोप लगते हुए कहा कि खिलाड़ियों को खेल के दौरान कठोर अपशब्दों का सामना करना पड़ा। भारतीय दर्शकों ने उनकी बेइज्जती भी की। मुंबई हमले के बाद पाकिस्तानी खिलाड़ियों के प्रति भारतीय दर्शकों का रवैया बदला है।

उल्लेखनीय है कि भारतीय हॉकी टीम ने विश्वकप और राष्ट्रमंडल खेलों में पाकिस्तान खिलाफ जीत दर्ज की थी। राष्ट्रमंडल खेलों में पाकिस्तानी टीम छठे स्थान पर थी।

Thursday, October 14, 2010

बेशर्म आस्ट्रेलियाई खिलाड़ी

नई दिल्ली। राष्ट्रमंडल खेलों में पदक तालिका में सबसे उपर रहे आस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों ने खेल गांव में लगातार दो रातों तक न सिर्फ हंगामा मचाया बल्कि तोड़फोड़ भी की। भारत के खिलाफ ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम की टेस्ट सीरीज में हार को ये खिलाड़ी पचा नहीं सके और मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के खिलाफ नारेबाजी भी की।

खेल गांव में मामला यहां तक बढ़ गया कि आस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों ने अपने कमरे में रखे फ्रिज को भी ऊपर से नीचे फेंक दिया। गनीमत तो यह रही कि कोई व्यक्ति इसकी चपेट में नहीं आया।

हद तो तब हो गई जब ऑस्ट्रेलियाई पहलवान हसन फकीरी ने भारतीय पहलवान अनिल कुमार से हारने के बाद हाथ मिलाने से ही इंकार कर दिया और रैफरी की तरफ अश्लील इशारे भी किए। एक ऑस्ट्रेलियाई साइक्लिस्ट ने दौड़ के दौरान लापरवाही से साइकिल चलाई, जिससे एक खिलाड़ी को गंभीर चोट आई। इन दोनों ही मामलों में खिलाड़ियों को खेल से बाहर कर दिया गया।

इतना सब हो जाने के बावजूद आयोजन समिति के अधिकारियों ने इस बाबत पुलिस से कोई शिकायत नहीं की है।

Tuesday, October 12, 2010

राष्ट्रमंडल खेल बना राष्ट्र की अस्मिता का प्रश्न

किसी देश के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर के किसी आयोजन का मेजबान बनना कई मायनों में महत्त्वपूर्ण और बहुत हद तक आर्थिक रूप से फायदेमंद साबित होता है। किंतु इसके साथ ही इस मुद्दे के कुछ अन्य बहुत से महत्त्वपूर्ण बिंदुओं पर ध्यान देना जरूरी हो जाता है। 

जिस देश में अब सरकार बुनियादी समस्याओं से जूझ रही हो, अपराध,आतंकवाद और भ्रष्टाचार जैसी जाने कितनी ही मुसीबतें सामने मुंह बाए खड़ी हों, जिस देश को अपने विकास के लिए जाने कितने ही मोर्चों पर संघर्ष करना बाकी हो, जिस देश को आज अपना धन और संसाधन खेल, मनोरंजन जैसे कार्यों र्से अधिक ज्यादा जरूरी कार्यों र्पर खर्च करने की जरूरत होए वह विश्व में सिर्फ अपनी साख बढ़ाने के लिए ऐसे आयोजनों की जिम्मेदारी उठाने को तत्पर हो तो आप इसे किस नजरिये से देखेगे।

राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन के संबंध में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का कहना है कि यह देश के लिए इज्जत का सवाल है। कांग्रेस संसदीय दल की बैठक में सोनिया गांधी ने साफ तौर पर कहा कि राष्ट्रमंडल खेलों के सफल आयोजन से राष्ट्र की प्रतिष्ठा जुड़ी हुई है इससे किसी व्यक्ति या पार्टी का नहीं बल्कि पूरे देश का गौरव बढ़ेगा। प्रधानमंत्री डा.मनमोहन सिंह ने 64वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में खेलों के आयोजन को देश की प्रतिष्ठा से जोड़ते हुए देशवासियों से अपील की थी कि वे इसे राष्ट्रीय त्योहार की तरह समझें तथा उम्मीद जताई कि आयोजन की सफलता से विश्व में यह संदेश जाएगा कि भारत आत्म विश्वास के साथ तेजी से प्रगति कर रहा है। प्रधानमंत्री ने अपनी इस टिप्पणी में न ही राष्ट्रमंडल खेलों में व्याप्त भ्रष्टाचार का जिक्र कही न ही उन विस्थापितों का।

ऐसे सवाल से केवल देश की प्रतिष्ठा का नहीं है, बल्कि इसके साथ देश के लोगों की बढ़ती परेशानियों का प्रश्न भी जुड़ा है। एक ओर बढ़ती महंगाई के चलते आम लोगों का जीना मुहाल है तो दूसरी ओर सरकार राष्ट्रमंडल खेल के बढ़ते बजट को पूरा करने के लिए हरसंभव उपाय कर रही है, लेकिन आयोजन स्थलों के निर्माण के नाम पर विस्थापित किए गए हज़ारों लोगों को पुनर्वासित करने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है।

साल 2003 में भारत को इन खेलों के आयोजन की ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी। राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन में शायद ही कोई पहलू हो जिसकी समय सीमा को लेकर विवाद न उठा हो और खेलों के थीम सॉन्ग को जारी करने को लेकर भी यह दुविधा दिखी है। शुरुआत के साथ ही कार्यक्रम की जैसे हवा निकल गई। वर्तमान स्थिती यहाँ तक आ पहुची है कि सार्वजनिक क्षेत्र की लगभग सभी बड़ी कंपनियाँ अपने वायदे से पीछे हटती नज़र आ रही हैं।

अब आयोजन समिति सरकार से मिले करोड़ों रूपए कैसे लौटाएगी, इस सवाल का जवाब फ़िलहाल आयोजन समिति के पास भी नहीं है। लगता है जैसे खेलों के आयोजन से लोगों का विश्वास ही उठता जा रहा है। 

अवनीश सिंह

Sunday, October 3, 2010

राष्ट्रमंडल खेलों के उद्घाटन समारोह ने जीता पूरी दुनिया का दिल









नई दिल्ली  तमाम विवादों को दरकिनार करते हुए रविवार की रात दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में जिस तरह से राष्ट्रमंडल खेलों का शुभारम्भ हुआ उससे  इन खेलों के आयोजन को लेकर भारत की आलोचना करने वाले तथा पूरी दुनिया के खेल प्रेमी दंग रह गए।  19वें राष्ट्रमंडल खेलों के उद्घाटन समारोह में रविवार को भारतीय संस्कृति और अनेकता में एकता का अद्भुत नजारा देखने को मिला।
जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में आयोजित भव्य समारोह में भारतीय संस्कृति के अनुरूप उद्घाटन की शुरुआत शंखनाद से हुई और फिर डंग चेन ने दर्शकों का मन मोह लिया। डंग चेन भारत के सबसे पुराने वाद्य यंत्रों में शामिल है। शंख और डंग चेन की ध्वनि एक साथ आसमान में गूंजने लगी तो लगा मानो कोई बड़ा धार्मिक आयोजन शुरू होने वाला है। इस बीच उद्घाटन समारोह में एक मासूम बालक केशव ने पूरे आत्मविश्वास के साथ तबला वादन कर समां बांध दिया।

इसके बाद देश के विभिन्न हिस्सों के ड्रम वादकों ने दर्शनीय छठा बिखेरकर विदेशी दर्शकों को भी झूमने के लिए मजबूर कर दिया। इसकी शुरुआत मणिपुर के विशिष्ट शास्त्रीय नृत्य 'पंग चोलम' से हुई जो मणिपुरी संकीर्तन संगीत और मणिपुर नृत्य पर आधारित है। इसमें नर्तक ड्रम बजाते हुए नृत्य कर रहे थे। इस दौरान शानदार आतिशबाजी से समारोह स्थल जगमगा गया।

राष्ट्रमंडल खेलों का यह समारोह किसी मेले या शादी से कहीं अधिक भव्य और आलीशान था। समारोह में भारतीय संस्कृति को बहुत ही आकर्षक रूप में प्रस्तुत किया गया। शादियों, दीवाली, रक्षाबंधन, भैया दूज, ईद, करवा चौथ आदि त्यौहारों पर महिलाओं के हाथों में सजने वाली मेंहदी के हुनर को भी इस समारोह का हिस्सा बना। 






गुरु-शिष्य परम्परा की मिसाल तानपुरा के जरिए पेश की गई जिसमें गुरू अपने शिष्य को जब शास्त्रीय संगीत सिखाता तो पीछे बोधि वृक्ष का आकार बनता है। तबला, सितार और मृदगंम ने अपनी सुरीली तान छेड़ी तो भरतनाट्यम, ओडिसी, कत्थक, मणिपुरी, मोहिनीट्टम और कुचिपुड़ी नृत्य भी पेश किए गए।
 
सात चक्र भारतीय संस्कृति का अहम अंग रहे है। ये सातों चक्र बीजा मंत्र लाम, वाम, राम, याम, हाम, शाम और यू के बैकग्राउंड संगीत के साथ अवतरित हुए। कुंडलिनी योग और पदमासन का विशेष रूप से प्रदर्शन किया गया तो इस बीच वेदिक मंत्र, बौद्व श्लोकों, मंत्रों, अजान और गुरूवाणी के जरिए दिखाया गया कि भारत किस तरह सभी धर्मो को अपने मे समेट कर उन्हें पूरा सम्मान देता है। 'ग्रेट इंडियन जर्नी' में भारतीय बाजार, महिलाओं द्वारा धान की कटाई, किसानों का खेत जोतना, और धोबी घाट का नजारा पेश किया गया। ग्रामीण भारत की झलक रिक्शा, आटो, मछुआरों, दूधवाले, हाकर, चायवाले और कारीगरों के जरिए पेश की गई।

विदेशी मीडिया ने भी राष्ट्रमंडल खेलों के उद्घाटन समारोह की तारीफों के पुल बांधे ब्रिटेन के अख़बार द गार्जियन ने राष्ट्रमंडल खेलों के उद्घाटन समारोह को शानदार कहा है। जबकि, ब्रिटेन के अन्य अख़बार टेलीग्राफ ने भी उद्घाटन समारोह को शानदार करार दिया है। जबकि ऑस्ट्रेलिया के मशूहर अख़बार सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उद्घाटन समारोह की भव्यता ने पूरी दुनिया का दिल जीत लिया।